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फाल्गुन के मधु मास में
उत्तेजना व उल्लास में
हर कोई मस्त मलंग है
चहुँओर होली का रंग है
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कोयल की नयी कूक है
मन में उठी इक हुक है
आमों में नया बौर है
हर कोंपल चितचोर है
ह्रदय में बसी उमंग है
चहुँओर होली का रंग है
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सजनी में नयी नज़ाकत है
सजना में नयी शरारत है
जल से भीगा सब अंग है
चोली भी आज कुछ तंग है
कल्पनाओं की नयी तरंग है
चहुँओर होली का रंग है
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भाभी भोर से जागी है
देख देवर को भागी है
पानी को देख डरी हुई
चुनरी रंगों से भरी हुई
भैय्या भी संग संग है
चहुँओर होली का रंग है
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आँगन में भरी फुलवारी है
बच्चों के हाथ पिचकारी है
पानी से रँगे गुब्बारें हैं
मुँह पे होली के नारे हैं
हुड़दंग में नंग धडंग हैं
चहुँओर होली का रंग है
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गुझिया मावे की भरी हुई
पकोड़ी ताज़ी तली हुई
खाकर मस्त दीवाने हैं
ग़मों से सब अनजाने हैं
हवाओं में मिली भंग है
चहुँओर होली का रंग है
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सब दूर हुए शिकवे गिले
एक दूजे से सब गले मिले
न कोई धर्म न जाति है
होली सबको बुलाती है
एकता का अनूठा ढंग है
चहुँओर होली का रंग है
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अबकी होली में संकल्प हो
हर सोच में काया कल्प हो
सिद्धांत कुछ नए बना डालें
होली भ्रष्टाचार की जला डालें
विकास की नयी तरंग है
चहुँओर होली का रंग है
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दीपक पाण्डेय
नैनीताल
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