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नजर गयी जहाँ
जल का ही निशाँ
मदद के लिए बस
सेना का ही जवाँ
हरदम जो छेड़ता
जज्बात कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
…………………….
जान जान बेहाल है
सब खस्ता हाल है
बाढ़ ने बनाया ऐसा
सूरत ए हाल है
चंदा कहाँ गया वो
ज़कात कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
…………………….
मदद को भी नहीं
कोई बाशिंदा है
बस वर्दी में जवान
या सरकारी कारिंदा है
जश्न ए वादी का वो
ख्यालात कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
…………………….
जन को विरुद्ध किया
बस छद्म युद्ध किया
शांति के मार्ग को
सदा अवरुद्ध किया
कल तक जो बांटता
था खैरात कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
…………………….
मसले कहाँ आतंक से
हल ही होते हैं
माएँ बिलखती हैं
मासूम रोते हैं
सँवारने को आया
था हालात कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
……………………..
जिहाद महज़ नहीं
किसी का खूं बहाना है
इंसान को इंसानियत
का पाठ पढ़ाना है
पड़ने वाला इंसानियत
का पाठ कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
……………………..
कश्मीर को स्वर्ग बनाने
का भरता था जो दम
साथ जीने मरने की
जो खाता था कसम
छोड़ कर वो तुम्हारा
साथ कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
……………………..
हाथ में तुम्हारे बस
हथियार ही दिये
कलम के बजाय मासूम
को तलवार ही दिये
देने वाला वो जन्नत की
सौगात कहाँ गया
जमात कहाँ गया
हुर्रियात कहाँ गया
……………………..
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