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जीवन के संगीत को देखो [कविता]

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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जीवन के संगीत को देखो

सपनोँ मेँ अपनी जीत को देखो

मेघ गरजते घड घड घड घड

बूँदे गिरती तड तड तड तड

नदीयाँ बहती कल कल कल कल

कितनी विहवल कितनी निशचल

नदियाँ पर्वत फूल पत्तियाँ

बादल झरने और बिजलियाँ

सबकी अपनी ही एक लय है

इनका संगीत आनंदमय है

भोर धरा की जादूई बेला

प्रथम किरण का आनंद वो पहला

निर्मल सुबह का आगाज

पंछी की पहली परवाज

प्रस्फुटित सुगन्धित हवा है बहती

संगीत बनकर तुमसे कहती

मुस्कराहट मेँ भी संगीत है

कदमोँ की आहट मेँ संगीत है

मंदिर की घंटी मेँ संगीत है

कितना मधुर कोयल का गीत है

प्रकृति की इस रीत को देखो

जीवन के संगीत को देखो

सपनोँ मेँ अपनी जीत को देखो

दीपक पाँडे नैनीताल

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