Menu
blogid : 14778 postid : 670859

तन शिथिल पड रहा मगर मन मेँ उत्साह है

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
  • 179 Posts
  • 948 Comments

न जाने उम्र का ये कौन सा पडाव है
तन शिथिल पड रहा मगर मन मेँ उत्साह है
तन के तानपुरे के तार खुद मेँ उलझ रहे
मन की वीणा के राग नया जोश भर रहे
खाक ए तन से ढका अंगारोँ का अजब अलाव है
तन शिथिल पड रहा मगर मन मेँ उत्साह है
कर्मों का मेरे ए खुदा ये क्या सिला दिया तूने
माटी के तन मेँ अब ये क्या मिला दिया तूने
पतवार मेँ उमंग नौका मेँ ठहराव है
तन शिथिल पड रहा मगर मन मेँ उत्साह है
घायल ये पंछी फिर भी आसमान चढेगा
हौसलोँ से महज अब उडान भरेगा
सूखे दरख्त मेँ अब भी बची थोडी छाँव है
तन शिथिल पड रहा मगर मन मेँ उत्साह है
तन का ये प्रस्तर यूँ ही व्यवधान करेगा
मन का ये निर्झर अनवरत् बहता रहेगा
दीपक तू जलते रहना ये जीवन का उतार चढाव है
तन शिथिल पड रहा मगर मन मेँ उत्साह है

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply