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तिरंगा इसी जोश में लहराता रहेगा
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विश्व का ये सबसे बड़ा लोकतंत्र है
वसुधैव कुटुंबकम ही जिसका मूलमंत्र है
दिवस गणतंत्र हर वर्ष मनाता ही रहेगा
तिरंगा इसी जोश में लहराता रहेगा
खातिर वतन के सन्यासियों ने खुद को किया नमन
बजाया बिगुल आज़ादी का रच के वंदे मातरम
उस आनंद मठ कि याद को दोहराता रहेगा
तिरंगा इसी जोश में लहराता रहेगा
आज़ादी के प्रथम संग्राम में प्रतिनिधित्व ही न था
मन में था परचम मगर तिरंगे का अस्तित्व ही न था
गोली आज़ादी कि पहली चला के मंगल अंग्रेज़ों से लड़ गया
खुद फंदा फांसी का चूम के भगत सूली पे चढ़ गया
किस्से इन्ही शहीदों के सुनाता रहेगा
तिरंगा इसी जोश में लहराता रहेगा
आज जो अपने मुल्क को ही कोस रहे हैं
महज़ सत्तासीनों को दे दोष रहे हैं
प्रजातंत्र है ये इनको तुमने ही चुना
षड़यंत्र का मकड़जाल स्वयं तुमने ही बुना
उतरो मैदान में अब इस जाल को तोड़ो
आगे बड़ो बस ये कुछ पल का अँधेरा है
भोर का समय है आगे प्रातः कि बेला है
कर्त्तव्य कि याद तुमको दिलाता रहेगा
तिरंगा इसी जोश में लहराता रहेगा
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