CHINTAN JAROORI HAI
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न कोई इक़रार है और
न कोई इज़हार है
दो आत्माओं का मिलन है ये
प्यार तो बस प्यार है
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मुरली में मोहन की है
मीरा के विश्वास में
राम के वनवास में
गोपियों के रास में
भ्रमर के गुंजन में है
तितलियों के राग में
नूर सा फैला है अद्भुत
लौ की हर चिराग में
गर साथ है प्रियतम तो
हर दिन बसंत बहार है
दो आत्माओं का मिलन है ये
प्यार तो बस प्यार है
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दीप में ज्योति सा है
सीप में मोती समान
दूर होकर भी क्षितिज में
जैसे धरती चूमे आसमान
न तो कुछ खोना है न
पाने की ही चाह है
प्यार तो बस है समर्पण
मिल पाती न इसकी थाह है
जीवन की ये ही है परिणति
जीवन का ये ही है चरम
शून्य से शुरुआत है और
शून्य पर ही है खत्म
न आदि है न अंत इसका
इतना वृहद विस्तार है
दो आत्माओं का मिलन है ये
प्यार तो बस प्यार है
दीपक पाण्डेय
नैनीताल
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