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फटेहाल वो गरीब ए हिन्दोस्तान है जनाब[कविता]

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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उम्र भर मुफलिसी मेँ जो रोता ही रहा ।

फटेहाल वो गरीब ए हिन्दोस्तान है जनाब ॥

चन्द बोतलोँ की खातिर बिकता है वही ।

इस देश का मतदाता है ये मतदान है जनाब ॥

ईमानदारी कहीँ इक कोने मेँ बैठी है छिपी ।

बेईमानी के हाथोँ उसका गिरेबान है जनाब ॥

सूरज के अस्त होते ही डगमगाने लगे हैँ पग ।

मयखाना है या देवभूमी का स्थान है जनाब ॥

पँडित और मुल्ला धर्म के ठेकेदार हैँ ।

अब न कोई कबीर न रसखान है जनाब ॥

खिलने से पहले कलियोँ को मसलने लगे ।

कुमाताओँ से भरा समाज ये महान है जनाब ॥

कातिल और मसीहा मेँ कोई फरक नहीँ ।

अबु सलेम भी देश का मेहमान है जनाब ॥

रिश्वत है जरुरी कोई जिये या मरे ।

भ्रष्टाचार मेँ अव्वल ये हिन्दोस्तान है जनाब ॥

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