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बचपन की चाह ( कविता )

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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चाह यही है मेरी मैँ भी
आसमान मेँ उड जाऊँ
बादल के संग होली खेलूँ
चिडियोँ संग बतियाऊँ
तितली जैसे पंख लगाकर
परियोँ जैसा इठलाऊँ
अलग अलग फूलोँ मेँ बैठूँ
और मकरन्द चुराऊँ
इन्द्रधनुष के सतरंगी
रंगो सी पतंग बनाऊँ
रेशम की डोरी से उसको
चंदा तक पहूँचाऊँ
रिमझिम रिमझिम
पानी मेँ भीगूँ
कागज की नाव चलाऊँ
रंगबिरंगी मछली संग
पानी मेँ कूद लगाऊँ
आसमान के तारोँ को
झोली मेँ भर कर लाऊँ
जुगनु जैसा चमकूँ मैँ
कण कण मेँ दीप जलाऊँ ॥

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