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बचपन बनाये रखने की खातिर बचपन बिकने को मजबूर है

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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आजकल शहरों में कई ऐसे परिवार हैं
जहाँ इन्सान तो कम कुते बेशुमार हैं
इन्ही में एक ऐसे ही दम्पति हैं
दोनों कमाते हैं अपार संपत्ति है
दोनों की कुल एक ही संतान है
खिलौनों का अम्बार पर बचपन वीरान है
एक दिन दोनों इस समस्या को भांप गए
परिणाम की सोचकर ही काँप गए

पास में ही एक मलिन बस्ती थी
जिंदगी कठिन और मौत सस्ती थी
उसी बस्ती में रहता एक परिवार था
आमदनी तो शून्य संतानों का अम्बार था
खाने के इस कदर पड़ गए लाले थे
बच्चों की रोटी की खातिर
बच्चा बेचने वाले थे

दम्पति ने भी ये फैसला लिया
बचपन लौटायेंगे ये तय किया
बहुत सोचा समझा किया ये उपाय
उसी बस्ती से एक बच्चा खरीद लाये
सोचा अपने बच्चे का भी
मन लगा रहेगा
जो ये साथ साथ खेलेगा
बचपन बना रहेगा
अपना बच्चा स्कूल जायेगा तो ये
घर का काम करेगा

इस देश में आज भी
बच्चों से बचपना कितना दूर है
बचपन बनाये रखने की खातिर
बचपन बिकने को मजबूर है

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