Menu
blogid : 14778 postid : 743333

बचपन याद आता है (जागरण जंक्शन फोरम)

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
  • 179 Posts
  • 948 Comments

नन्हा शिशु जब सामने हँसता हंसाता है
मुझको भी बचपन मेरा तब याद आता है
वो परीक्षाओं के चलते
छुट्टियों का इंतज़ार
वो बारिश की बूंदे भी
होता था एक त्यौहार
वो रसोई की चीनी भी
थी मिठाई का अम्बार
यादों का वो कारवां
कितना रुलाता है
मुझको भी बचपन मेरा तब याद आता है
…………………………………………….
वो पोले मुँह वाली दादी और नानी
हरा समंदर गोपी चन्दर मछली का पानी
वो पोशम्पा करती चोरों की कहानी
वो कोक्ला की पाकी जी में रात की रानी
वो राजा, वजीर, चोर, सिपाही की रवानी
घर से विदा होती गुड़िया वो सायानी
यादों का वो अम्बार दिलासा दिलाता है
मुझको भी बचपन मेरा तब याद आता है
…………………………………………….
वो गर्मियों की रातों में छतों पे सोना
खिलौनों की ज़िद पे वो बिना बात के रोना
छोटे से लालच के लिए वो पैसों का बोना
गुड़िया की सगाई में वो माला का पिरोना
स्कूल से बचने को वो नयनों को भिगोना
बड़े होने का देखना सपना वो सलोना
हर कोई कहानी वही सुनता सुनाता है
मुझको भी बचपन मेरा तब याद आता है
…………………………………………….
खेलते थे लंगड़ी टांग और वो आँख मिचोली
छुपन छुपाई ,पिट्ठू गरम ,वो रंगो की होली
वो लूडो ,वो कैरम वो कंचों की झोली
मिटटी से खेलना एक दूजे से ठिठोली
एक ही आँगन में सब खेलते थे हमजोली
जन्माष्टमी के दिनों में बनाते थे रंगोली
सोच कर ये मन भी मेरा गुदगुदाता है
मुझको भी बचपन मेरा तब याद आता है
…………………………………………….
सही गलत का कोई विधान नहीं था
लड़का ,लड़की का भी कोई ज्ञान नहीं था
न था कोई हिन्दू ,कोई मुसलमान नहीं था
अमीरी और गरीबी का भी भान नहीं था
कोई ना अपना पराया कोई मेहमान नहीं था
मोहल्ला था परिवार कोई अनजान नहीं था
न था कोई रिश्ता मगर अब तक बुलाता है
मुझको भी बचपन मेरा तब याद आता है
…………………………………………….

दीपक पाण्डेय
जवाहर नवोदय विद्यालय
नैनीताल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply