CHINTAN JAROORI HAI
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बसंत की वो बात थी
बहूत सुहानी रात थी
चमन मेँ भँवरा आ गया
कली से टकरा गया
कली वो नादान थी
भँवरे पर मेहरबान थी
काली घटा घट गयी
रात यूँ ही कट गयी
नयी सुबह आ गयी
कली वो मुरझा गयी
चमन से पैगाम आ गया
बागबाँ पर इल्जाम आ गया
बागबाँ रोने लगा
अश्रु नयन मेँ पिरोने लगा
तितलियाँ निकल पडी
चिडियाँ भी साथ चल पडी
बोली प्यार बेपनाह है
हम भी तो गवाह हैँ
हाथ मेँ ये हाथ हैँ
हम तो तेरे साथ हैँ
नयी फसल उगायेँगे
नया चमन बसायेँगे
बागबाँ का दिल गया
चेहरा फिर से खिल गया
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