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बीबी के खर्चों ने हाय इस कदर मार डाला (हास्य कविता )

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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बीबी के खर्चों ने हाय
इस कदर मार डाला
दीवाली से ही पहले मेरा
निकल गया दिवाला
ब्यूटी पार्लर का ये कैसा चर्चा है
अनायास ही ये कैसा खर्चा है
सुंदरता सूरत में नहीं
सीरत में होती है
तू व्यर्थ ही इसकी खातिर क्यों रोती है
पत्नी बोली क्यों बेकार कि हांकते हो
तभी तो दूसरों कि बीबी को ताकते हो
सगाई के दिन मै तुम्हे
चंद्रमुखी नजर आयी थी
भाई कि पूरी कमाई
पार्लर में लगाई थी
और तुम भी तो बड़े हैंडसम नजर आये थे
जानती हु में उसी दिन बाल रंगाये थे
कहे देती हुँ इस बार साड़ी दिलवाओगे
नहीं तो रात का भोजन बहार ही खाओगे
अबकी सुनार कि दुकान में
एक हार पसंद आया है
कल ही शर्मा जी ने
अपनी बीबी को दिलवाया है
मै बोला तेरे तो बड़े भाग हैं
तेरा आभूषण तो तेरा सुहाग है
वो बोली मैं तो यूं ही मर जाऊंगी
पति को गले में कैसे लटकाऊँगी
अच्छा ये सब ठीक है
आज रात मेरे बॉस आएंगे
परिवार सहित खाना यहीं पर खायेंगे
वो बोली ये सब कैसे कर पाओगे
घर की माली हालत कैसे छिपाओगे
मै बोला इसका मैंने इंतजाम किया है
आज ही प्याज कि गंध वाला
एक महंगा इत्र लिया है
कल हमारे घर में
प्याज की ही गंध आएगी
हमारी ये समृद्धि देख
बॉस की बीबी भी जल जायेगी

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