CHINTAN JAROORI HAI
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बेतुकी कथा सुनाता दीखता है
आस्था को भुनाता दिखता है
धर्म के नाम पर दंगे होने लगे
मतदान पास आता दिखता है
त्याग के देवता उन संतों को
स्वप्न में भी खजाना दिखता है
गरीब की झोपडी में जा जा कर
रोटी की कहानी सुनाता दिखता है
इस कदर गिरा पुरुष प्रधान समाज
हर इक नारी पे नजर गड़ाता दिखता है
अब तो बस साया ही है साथ मेरे
जो हौसला बढाता दिखता है
हर रोज देता है नया लालच
मेरा जमीर मुझे आजमाता दिखता है
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