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मौत का आंकड़ा व्यापम और मीडिया की गंभीरता

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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आजकल मीडिया में प्रतिदिन व्यापम पर बहस चल रही है जिसकी जनता आदि हो चुकी है मीडिया की भी कोशिश जारी है बार बार मौत का आंकड़ा दिखा कर खबर की गंभीरता को बयां करने की जहाँ तक घोटाले की बात है हालांकि यह घोटाला कई सालों से चल रहा था चूंकि मौत का आंकड़ा कुछ काम था तो मीडिया के लिए ये कोई सनसनीखेज खबर नहीं थी अब यही खबर टी आर पी बढ़ाने का अच्छा साधन है
सबसे पहले घोटाले का खुलासा ९० के दशक में स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा किया गया था जो की बोफोर्स के नाम से प्रसिद्द हुआ जिसमे लगभग २० साल बाद भी कोई नतीजा तो नहीं निकला हां बोफोर्स के घोटाले से ज्यादा पैसा उसकी जांच में जरूर खर्च हो गया अंततः जनता की समझ में यह जरूर आया की यह विश्वनाथ प्रताप की राजनितिक महत्वाकांक्षा को पाने में जरूर सहायक सिद्ध हुआ एक समय यह जरूर लगता था की वी पी सिंह को इतने राज पता हैं की सत्ता में आते ही बोफोर्स के सभी दलालों को जेल होगी और सारा दलाली का पैसा देश में वापस भी आ जायेगा परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ वी पी सिंह सरकार में भी आये और देश को एक आरक्षण का तोहफा और दे गए
वस्तुतः ये घोटाले सत्ता पाने के एक अच्छे हथकंडे मात्र हैं किसी भी आम घोटाले में सबसे पहले कुछ जांच पुलिस करती है जिसमे कुछ सबूत और वर्ष नष्ट हो जाते हैं तत्पश्चात एस आई टी गठित की जाती है जो कुछ और वर्ष बिताने और कुछ और कड़ियाँ तोड़ने का काम करती है कुछ वर्ष और बीत जाने पर मामला सी बी आई को मिलता है जो सभी सबूत नष्ट होने का हवाला देती है इस दौरान लगभग १० वर्ष बीत जाते हैं और कुछ गवाहों को भी मिटा दिया जाता है फिर लोअर कोर्ट , हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट लगभग दस साल और इस दौरान कुछ आरोपियों का भी इंतकाल अंत में वही धाक के तीन पात
यही अंजाम है पिछले सालों में देश में पाये जाने वाले कुछ घोटालों का अब प्रश्न उठता है मीडिया का वह भी इतने सालों में सब भूल चूका होता है अब यूं पी का ही उदहारण ले मीडिया को पुलिस अधिकारी ठाकुर से कोई सहानुभूति नहीं जबकि वह एक षड़यंत्र में फंसाये जा रहे हैं परन्तु यह किस्सा सनसनीखेज नहीं अब तक कोई मौत नहीं जनता और विपक्ष भी तमाशबीन है क्या ये सब इंतज़ार कर रहे हैं की दुर्गाशक्ति की भाँती ये भी सत्ता के आगे झुक कर माफ़ी मांग ले या फिर एक और मौत का इन्तेजार
बड़ा हास्यास्पद सा लगता है जब अन्य घोटालों में सज़ा पाये अपराधी व्यापम घोटालों पर मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करते हैं यह घोटाले मीडिया के लिए मसालेदार खबर राजनेताओं के लिए राजनैतिक हथकंडे से ज्यादा कुछ नहीं व्यापम के घोटाले की जानकारी काम से काम कुछ व्हिस्लेब्ळॉवॅर द्वारा उजागर तो हुई उस प्रदेश का क्या जहां आई ए इस अधिकारी भी अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं वहाँ घोटाले के पर्दाफाश तो सपने की ही बात है भ्रष्टाचार के मामले में सज़ा न मिल पाना क़ानून में देरी आदि ही इन भ्रष्टाचारियों के लिए प्रोत्साहन का कार्य करते हैं जिस दिन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा इन मामलों का निपटारा मात्र साल भर में होने लगेगा धीरे धीरे ये बुराई अपने आप ही ख़त्म हो जाएगी

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