CHINTAN JAROORI HAI
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अगर वो F I R समय पर लिख गयी होती
वो बच्ची वहशीयत से बच गयी होती
न दर्द इतने झेल रही होती
आज बागीचोँ मेँ खेल रही होती
जो पुलिस भावनाओँ से भरी होती
सरे राह यूँ न मसखरी होती
फिर एक नये मामले की सुनवायी होगी
पुनः उस परिवार की रुसवायी होगी
धीरे धीरे केस यूँ ही खिसकेगा
अपनी देहरी पे कानून खुद ही सिसकेगा
एक दशक बाद फिर सजा होगी
सजा पर चर्चा बेवजह होगी
समाज के इज्जतदार लोग आयेँगे
सजामाफी की दरखास्त लगायेगे
हम भारतीय अपराधी के लिए भी दिल मेँ रहम रखते है
मासूम की पीडा का अन्दाज नहीँ
अपने महान होने का वहम रखते हैँ
दीपक पाण्डे J N V नैनीताल
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