CHINTAN JAROORI HAI
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बदकिस्मती को अपनी यूँ स्वीकार कर लिया
ख्वाहिशोँ को बेच कर व्यातार कर लिया
हर मरतबा जो मुझे देता रहा दगा
उसी महबूब पे अपने ऐतबार कर लिया
हर आरजू को मेरी जो कर गया दफन
सजदा उसी के दर पे बार बार कर लिया
यादोँ मेँ उसकी रोज रोशन किये चिराग
अपने जहन मेँ बन्द अन्धकार कर लिया
दुःख है यही कि दुःख का भी इजहार न किया
अश्कोँ ने मेरी आँखो से इतना प्यार कर लिया
दीपक पाण्डे J N V नैनीताल
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