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सूनी कलाई राखी पर

CHINTAN JAROORI HAI
CHINTAN JAROORI HAI
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सूनी कलाई राखी पर

ज़हन मेँ पहले जैसी मासूमियत नहीँ मिलती

राखी के धागे मेँ पहले सी मुहब्बत नहीँ मिलती

तरक्की की दौड मेँ हम दो हमारे एक हो गये

कहीँ भाई नहीँ मिलता कहीँ बहन नहीँ मिलती

संस्कारोँ की न जाने कैसी नीँव रखी है

न कृष्ण जैसा सखा है न राधा सी सखी है

हाथ भरा हुआ है सारा टैटू से महबूब के

कलाई मेँ मगर एक भी राखी नहीँ मिलती

बागबाँ के ही हाथोँ मसली जाती है कली

वो शुक्रगुजार हो माँ बाप का बहन जिसे मिली

कोख मेँ आते ही दफन हो जाती हैँ बहनेँ

ऐसे भी चमन हैँ जहाँ कली नहीँ खिलती

देखी जहाँ बहनोँ के संग छेडखानी है

कानून कहता है ये मासूमोँ की नादानी है

तरक्की हुई बहनेँ बाहर आयी हिजाब से

जिन्दा जलायी जाने लगी हैँ तेजाब से

हर औरत से माँ बहन सा बर्ताव तुम करो

माँ बाप से अब ये नसीहत नहीँ मिलती

दीपक पाँडे नैनीताल

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