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कहा जाता हैं की औरत कुदरत का अनमोल तोफहा हैं, जब एक औरत कुछ ठान ले तो वो सब कुछ कर सकती हैं , यहाँ तक इतिहास भी बदल सकती हैं, हमारे “मोदी ” जी ने एक नारा दिया की शौचालय बनवाओ , माताओ बहनो को इज़्ज़त दो, आज उनका यह सपना पूरा करने मेंदेश की बेतिया महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं.कोटा, 21 अक्तूबर (एजेंसी) जयराम रमेश ने महिलाओं से उन परिवारों में शादी करने से इनकार करने की अपील की जहां शौचालय नहीं हैं।ग्रामीण भारत में शौचालय महिला के अधिकार का मुद्दा बन गया है. कईं घरों में शौचालय की सुविधा नहीं है क्योंकि पुरुष विशेष रूप से शौचालय की आंतरिक व्यवस्था पर सवाल खडे करते हैं.
हालांकि हरियाणा में यह मनोवृति तेजी से बदल रही है. जहां सरकार धन मुहैया करवा रही है, गाँव की महिलाएं पुरुषों पर इस कार्यक्रम का लाभ उठाने का दबाव डाल रही है. उनका नारा है: ” शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं.” इस संयुक्त प्रयास की बदौलत गांव में शौचालय वाले घरों की संख्या बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है, जो 4 साल पहले तक सिर्फ 5 प्रतिशत थी. यह जानकारी सुलभ इंटरनेशनल हरियाणा के स्थानीय अध्यक्ष काशी नाथ झा ने दी है. दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से एक घंटे की ड्राइव पर स्थित गांव लडरावण जो खेतिहरों और ईंट के भट्टे चलाने वालों का गांव है. एक स्थानीय ग्रामीण नेता अनिल कुमार छिकारा बताते हैं कि एक दुल्हन अपने पति से इस कारण तलाक ले चुकी है कि उसे शादी से पहले शौचालय के बारे में गलत जानकारी दी गई थी. एक अन्य युवती मोनिका ने अपने होने वाले पति से शौचालय बनवा लेने के लिए कहा है. मोनिका का कहना है कि अगर उसने बात न मानी तो वह उससे शादी नहीं करेगी.
वास्तव में यह मुहीम लड़कियां गांव गांव और घर घर में चला रही हैं, छोटे छोटे गांव में लड़कियां बैनर और पोस्टर लेकर निकल जाती हैं की अगर “शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं” , यह कुछ मूलभूत बाते हैं जिस पर अब समाज की सकारात्मक प्रतिक्रिया शुरू हो चुकी हैं , एक बेटी वो सिर्फ एक घर नहीं बल्कि पुरे समाज को शिक्षित करती हैं, वास्तव यदि इस देश की 49 % की जनता(महिलाएं) यह ठान ले की अब हम देश को नयी मंज़िलो तक पहुंचाएंगे , कुछ करके दिखाएंगे तो वास्तव में “सोने की चिड़िया” हमारे देश के सामने पुरे विश्व को ही नतमस्तक होना ही पड़ेगा , मुझे नाज़ हैं गांव में रहने वाली उन महिलाओ पर जो घर से बाहरनिकल कर अपने मान सम्मान की खातिर समाज को जागरूक कर रही हैं.
यह हैं बदलाव एक सकारात्मक सोच, एक नयी उर्ज़ा जो देश के लिए कुछ करना चाहती हैं, आप बात की गहराई को ज़रूर समझिए , क्यों हमारा देश विकसित नहीं हो सकता? हर बार हम तस्वीर की सिर्फ और सिर्फ एक सूरत नकारात्मकता को ही क्यों देखे? क्यों हिन्दुस्तान विश्व के मानचित्र पर अपनी एक नयी पहचान बन सकता ? ऐसा ज़रूर होगा और हो भी रहा हैं. आज देश को “गतिमान ” एक्सप्रेस मिली . दिल्ली से आगरा तक का सफर , 100 मिनट में पूरा किया? वास्तव में यह बुलेट के लिए नयी आधार शीला ही तो हैं.जिसने नींव का पत्थर रखा हैं .
ट्रैन में आज के युग की सारी सुविधाये उप्लब्ध् हैं, जैसे आप हवाई यात्रा का रोमांच लेते हैं वैसे ही अब “रेल ” यात्रा का भी लीजिए. और देश के बेटियों ने भी “शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं” का नारा पुरे देश में खुद ही दिया , लड़कियों ने अब अपनी कमर कस ली हैं. वास्तव में 5 अप्रैल भारत के रेल इतिहास के साथ साथ एक स्वर्णिम दिन भी हैं. यही सारि बाते हमें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करती हैं , मन में आशा जगाती हैं की अभी बहुत कुछ हैं करने को बहुत कुछ हैं आगे बढ़ने को , पूरा विश्व हमारी और देख रहा हैं , अभी तो न जाने देने हैं कितने अध्याय आने वाले इतिहास को ……
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