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प्यार वाला हैप्पी इंडिया , यह मुहीम हैं इस बार इंडियन प्रीमियर लीग की , वैसे भी हमारे देश में क्रिकेट को एक नया रिलिजन माना जाता हैं, देश के युवा वर्ग को एक नयी दिशा मिलती हैं , क्रिकेट लाखो युवाओं का सपना भी हैं, नाम शौहरत और पैसा क्रिकेट में सब कुछ मिलता हैं, वैसे यह देश के लिए शुभ समाचार भी हैं, क्योकि सरकार को भी इससे खूब कमाई होती हैं टैक्स के ज़रिये, वास्तव में आज देश में बैडमिंटन , कबड्डी ऐसे काफी सारे खेल हैं जो खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दे रहे हैं आगे बढ़ने का, देश का नाम रोशन करने का.
पर हमारे देश में प्यार अपनापन सहनशीलता यह तो सदियों से हैं, इसलिए विश्व के मंच पर हमारा देश अपनी एक अलग पहचान लिए हुए हैं, हमारी तो नींव में ही अपनापन और खुशहाली हैं , आज ज़रूरत हैं तो सिर्फ पूरी तस्वीर देखने की, हम हमेशा निराश क्यों हो जाते हैं? क्यों हमें लगता हैं की अब कुछ नहीं हो सकता इस बात को मैं शब्दों से नहीं बल्कि उदाहरणों से आपके सामने रखूगी, आप क्या सोचते हैं यह ज़रूर बताये…………..
देश में नवरात्री हैं तो शुरुआत करते हैं एक छोटी वीरांगना से , जिसकी हिम्मत और हौसले को सलाम .
देश की एक छोटी सिर्फ 8 वर्षीय तेलंगाना निवासित शिवम्पेट रुचिता को “नरेंद्र मोदी जी” ने 24 जनवरी 2016 को वीरता पुरूस्कार से सम्मानित किया , बच्ची ने अपने दो साथियो को खिड़की से बहार धक्का दिया और खुद भी कूद गयी, इस दुर्घटना में 16 बच्चो समेत ड्राइवर कंडक्टर की जान गयी, वो कहते हैं की अगर हम किसी को भी जीवन दान दे पाए दो हम जीवन के नायक हैं, छोटी सी बच्ची ने अपने साथ साथ दो बच्चो को और बचाया. बच्ची को गीता चोपड़ा के पुरूस्कार से सम्मानित किया गया
अर्जुन सिंह जिनका घर उत्तराखंड में हैं. जुलाई 2014 में एक बाघ अर्जुन के घर घुस आया , 16 वर्षीय अर्जुन की माँ तो बेहोश हो गयी , पर अर्जुन ने साहस का परिचय दिया , अर्जुन ने एक एक लाठी उठाकर हवा में घुमाई , तभी गांव के लोग भी घर में आगये भीड़ को देख बाघ भाग गया ,अर्जुन को संजय चोपड़ा के पुरूस्कार से सम्मानित किया गया, वो कहते हैं न भगवान् भी उसी की मदद करता हैं जो खुद अपनी मदद करता हैं. अर्जुन को भी “मोदी जी” द्वारा सम्मानित किया गया.अर्जुन ने तो वास्तव में अपने नाम की सार्थकता सिद्ध की
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जोएना चक्रबोर्ती , छत्तीसगढ़ में सिर्फ और सिर्फ 10 साल की उम्र में एक लड़की ने वीरता का परिचय दिया , एक बदमाश उसके पिता का मोबाइल फ़ोन छीन कर भाग रहा था, बच्ची ने समय न व्यर्थ करते हुए बदमाश का पीछा किया और मोबाइल फोन वापस लेकर आई, डरा सहमा या दूसरों की तरफ मदद की गुहार लगने वाला नहीं बल्कि एक बहादुर मुश्किलों का मुकाबला करने वाला ” शक्तिशाली इंडिया”.. लड़कियों में कितनी छमता होती हैं, या क्यों हम नवरात्री में कन्या पूजन करते हैं यह एक छोटी सी वीरांगना ने साबित कर दिया.
बीबी संदीप कौर ऐसी मन्यताए हैं हमारे देश में की एक औरत माँ बनकर और महान हो जाती हैं,बीबी संदीप कौर ने 80 बेटियों को गोद लिया अमृतसर में, और उन्हें अपनी बेटी समझकर बड़ा किया , इण्डिया टुडे की तरफ सी उन्हें सम्मानित किया , यह हैं वास्तव में “प्यार वाला अपने पन वाला ” ममतामयी इंडिया . वास्तव में अगर देश में देखा जाये तो एक आम आदमी ही इस देश की नींव हैं क्योकि वही तो हैं जो हर बार कुछ ख़ास कर जाता हैं. देश को एक नयी मिसाल दे जाता हैं.
देश की सेवा करना यह हम सबका कर्तव्य हैं , हा इसके तरीके कुछ भी हो सकते हैं. पर यह फ़र्ज़ हैं हमारा की अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी सी कुछ पल निकाल कर यह ज़रूर सोचे की हम देश के लिए क्या कर सकते हैं? हम सवाल बहुत करते हैं . निराश हो जाते हैं , वैसे भी आजकल तो बकवास करने का ज्यादा फैशन हैं. आज वाद विवाद नहीं होता बल्कि एक दुर्मिळ सी छवि सामने रख दी जाती हैं. एक पुरानी कहावत रही हैं की कहने से ज्यादा करने में विश्वास रखो. पर आजकल शायद हम सब कुछ भूलते जा रहे हैं……..\
आजकल हर कोई कहता हैं , की संविधान पढ़ा , ग्रन्थ पढ़े हैं उपनिषद पढ़े हैं, कुरान पढ़ी हैं बाइबिल पढ़ी हैं, सब पढ़ा पर कुछ सीखा नहीं . मुझे लगता हैं की “पुरूस्कार “सम्मानित छोटे छोटे प्रदेशों में निवासित इन् छोटे छोटे बच्चो ने “पढ़े लिखो” से ज्यादा समझा और सीखा हैं . क्योकि बच्चे मीडिया पर ज़हर नहीं उगलते उन्होंने तो छोटे से बचपन में हम सबको सिखाया की तोडना नहीं बल्कि जोड़ना सीखो ज़िंदगी लेना नहीं देना सीखो. क्योकि देश की सेवा या उसकी सच्चाई उसकी “बुराई” में नहीं होती.
तो सीखिए , खुशिया बाटिये ज़्यादा दूर जाने की ज़रुरत ही नहीं हैं , बच्चो से कुछ सीखिए क्योकि उनमे भगवान् का इंसानियत का वास होता हैं . या फिर एक मासूम खुशहाल और सकारात्मक इंडिया का वास तो बच्चो में ही होता हैं…………
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