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उत्तर प्रदेश राज्य में निवेशकों का शिखर सम्मेलन

National Issues
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अभी हाल में भारत के तथा विदेशों के निवेश सम्बन्धी प्रतिनिधियों का एक शिखर सम्मेलन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संपन्न हुआ. इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य था उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए भारतीय तथा अन्य विदेशी कंपनी को प्रोत्साहित करना. इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की सरकार को सराहनीय प्रशंशा तथा सफलता प्राप्त हुई. उल्लेखनीय है कि इस शिखर सम्मेलन में भारत के बड़े उद्योगपतियों के अलावा प्रतिनिधि अन्य विदेशी देशों से भी थे. इन विदेशी देशों में The Netherlands, Japan, Slovakia, Czech Republic, Finland, Mauritius तथा Thailand शामिल हें. इस शिखर सम्मेलन के दौरान
1045 MOU हस्ताक्षर किये गए. इन समझौता ज्ञापन (MOU) के अनुसार राज्य में 4.28 लाख करोड़ की राशि का निवेश करने का संकल्प है. गौर तलब है कि निवेश किया जाना राज्य की प्रशाशनिक क्षमता का सूचक है.
यहाँ इस बात पर गौर करें कि निवेशक किन कारणों से राज्य में निवेश करने से कतराते हें. प्रथम कारण कानून और शांति व्यवस्था की ओर ध्यान ले जाता है. जब राज्य में कानून व्यवस्था तथा शांति का सही मिश्रण हो तब निवेशकों की निवेश करने की इच्छा शक्ति सबल होती है. इसमें यह अति आवश्यक है कि पुलिस बल ईमानदार हो औए बिना किसी धर्म, सम्प्रदाय, जाति या राजनेता के दबाव में आकर काम करे. दूसरा कारण है राज्य सरकार की साफ़ सुथरी कार्य प्रणाली. सभी नीतियों को अच्छी प्रकार समझकर व्यापार ईमानदारी से करने वालों के साथ कोई छेड़ छाड़ न किया जाना. निवेशक पैसा निवेश करता है इस उद्देश्य से कि सरकारी हस्तक्षेप उसके व्यापार में न हो अगर वह सरकार की जो नीति है उसके अंतर्गत
काम कर रहा है. तीसरा कारण निवेशकों की आस्था को बल देता है जो अंततः निवेश लाने में सहायक है वह कारण है जनता का नौकरशाही अथवा ब्यूरोक्रेसी में विश्वास होना. भारत में कांग्रेस के भ्रष्ट प्रशासन साथ ही साथ समाजवादी पार्टी. बहुजन समाज पार्टी ओर तृणमूल कांग्रेस तथा राष्ट्रीय जनता दल जैसे दलों के कारण ब्यूरोक्रेसी का राजनीतिकरण बहुत कुछ हो चुका है, यहाँ याद दिला दें कि राष्ट्रीय जनता दल के स्थापक और गरीबों की दलाली कर सत्ता हथियाने वाले लालू यादव अभी चारा घोटाले में झारखण्ड के रांची नगर स्थित जेल में हैं. उनके कई सहयोगी जो बिहार सरकार में निर्णय लेने वाले थे पहले से ही चारा घोटाले में जेल की सजा काट रहे हें. आपको यह भी याद दिला दें कि कांग्रेस के नेत्रित्व में UPA सरकार में सहयोगी होने के कारण लालू यादव रेल मंत्री भी रह चुके हें. आपको इस सन्दर्भ में यह भी बतला दें कि पिछले उत्तर प्रदेश के राज्य चुनाव के संबध में जब समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादब मथुरा पहुंचे तब जब वह अपनी कार से उतरे उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ट पुलिस अधिकारी ने पैर छूकर उनका स्वागत किया. यहाँ यह स्पष्ट कर दें कि पुलिस अधिकारी उनका रिश्तेदार नहीं था. उसके पैर छूने का एक ही मकसद था कि उनका वरद हस्त बना रहे. जब निवेशक इस प्रकार की चापलूसी देखता है तो सतर्क हो जाता है और आत्मविश्वाश खो देता है और सोचता है कि जहां ऐसी चापलूसी हो वहां हमारे निवेश का क्या होगा. उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री को नौकरशाही से ऐसे चाप्लुसों से मुक्त करना होगा तभी यह शिखर सम्मेलन और इसके अंतर्गत MOU या समझौता ज्ञापन का लक्ष्य साकार हो सकेगा.
चौथा कारण है काम सीखने वाले, काम करने वाले तथा अनुशाशन के अन्तरगत काम करने वालों की स्थानीय उप्लभ्धता. उत्तर प्रदेश के लोग काम करना पसंद करते हें केवल ऐसी प्रस्तिथि पैदा की जाए कि बिना किसी दबाव के वह काम कर सकें. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि दुष्टों को या दुराचारियों को समाज से दूर करना होगा. यहाँ पुनः भ्रष्ट पुलिस कर्मियाँ का सामाजिक रोल याद आ जाता है. उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगीजी को समाज से दुष्कर्मियों का खात्मा करना होगा.
पांचवा सवाल जो निवेशक निवेश करने के पहले सोचता है वह है उचित टैक्स कोड (कर संहिता). इस क्षैत्र में केंद्रिय सरकार
की भूमिका अहम् समझी जायेगी. स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्रीय सरकार में इस दिशा में सामंजस्य है क्योंकि इस शिखर सम्मेलन में श्री नरेंद्र मोदी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. पर फिर प्रश्न यह उठता है कि भ्रष्ट कर अधिकारियों को ईमानदार बनाने में राज्य और केंद्र की सरकार कितनी मदद कर पाएगी. इन कर अधिकारियों को भ्रष्ट आचरण की इतनी पक्की आदत लग गयी है कि इनको ईमानदार बनाना आसान नहीं. कांग्रेस, समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टियों के शाशन में ये भ्रष्टाचार में इतने लिप्त रहे कि इस बुरी लत से निकल सकना आसान नहीं होगा. इसमें भारतीय जनता पार्टी के राज्य और केंद्र की सरकारों को सजग और जागरूक रहना पड़ेगा.
इस प्रकरण में यह उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के लोग इन राजनीतिक पार्टियों को समझें, परखें और इन्होने कितना हानी पहुँचाया है इसका मनन करें और इन्हें सही रास्ते पर लायें. पर यह अति आवश्यक है कि इन पार्टियों को सत्ता से कई वर्षों तक दूर रखें. इस सम्बन्ध में उन समाचार पत्रों तथा पत्रकारों की भूमिका अहम् होगी जो उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखते हैं. हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषा के समाचार पत्रों को देश हित में सोचना होगा.

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