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ग़ुलाम नबी आज़ाद का बौखलाहट का बयाँ और कांग्रेस पार्टी का सैधांतिक दीवालियापन

National Issues
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अभी हाल में कांग्रेस के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने एक हास्यास्पद बयाँ बहुत ही उत्साह के साथ दिया है कि वर्त्तमान भारतीय सरकार के पास कश्मीर और पाकिस्तान के साथ मामला सुलझाने के लिए समुचित नीति नहीं है. हम श्री आज़ाद के इस बयानबाज़ी पर सिर्फ इतना कह सकते हें कि अपने आका जिनके हाथ में कांग्रेस पार्टी की सत्ता है को खुश करने के लिए उन्होंने यह कहा है. भारत की यह नीति है कि पाकिस्तान से किसी प्रकार की बात तब तक नहीं होगी जबतक पाकिस्तान आतंकवाद को संगरक्षण देता रहेगा. जब बीजेपी की सरकार केंद्र में आई वर्त्तमान प्रधान मंत्री सभी औपचारिकता को छोड़ पाकिस्तान भी गए श्री नवाज़ शरीफ को स्वयं जन्म दिन की बधाई देने. यह छोटी सी आशा थी कि श्री नवाज़ शरीफ भारत के साथ पाकिस्तान के संबध को सौहार्दपूर्ण बनाने में कामयाब होंगे. हम भारतीय हमेशा यह आशा करते है कि पाकिस्तान की संवैधानिक सिविल सरकार सशक्त हो और सेना से मुक्त होकर पाकिस्तान के हित में फैसला लेने में सक्षमं हो. यह सभी को मालूम है कि पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना का राज चलता है और सेना अपनी दुकान चलाने के लिए आतंक का सहारा लेती है. यह निश्चित है कि पाकिस्तानी सेना पाकिस्तान की सीमा के अन्दर और सीमा से बाहर भारत और अफ़ग़ानिस्तान में सक्रियता के साथ आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहन देती है इसमें पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार समेत पडोसी देश की सरकारें भी उलझी रहती हें. ऐसा होते हुए भी आश्चर्य होता है जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ऐसा एलान करते हें कि बीजेपी की केंद्रीय सरकार के पास पाकिस्तान से विवाद सुलझाने के लिए कोई भी कारगर नीति नहीं है. रही बात कश्मीर में हो रहे उथल पुथल की तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कांग्रेस पार्टी के नेता यह मान चुके हें कि पाकिस्तान के बिना कश्मीर की समस्या का समाधान नहीं है. इन कांग्रेस की नेताओं को यह जोर देकर बताना ज़रूरी है कि भारत के किसी भी राज्य में उथल पुथल की समस्या का समाधान भारत सरकार स्वयं करेगी और इसके लिए पाकिस्तान से मशविरा करने की आवश्यकता नहीं है.
भारत की सरकार सभी वर्गों और धर्मों के लोगों को एक भारतीय सूत्र में बाँध कर विकास की ओर ले जाना चाहती है और बीजेपी की केंद्र की सरकार इसकी उद्घोषणा कई बार कर चुकी है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं के दिमाग में देश को जाति, धर्म, सम्प्रदाय, ऊंच नीच के आधार पर बाट कर वोट लेना और सरकार बनाना ही सदैव रहता है और इसमें ये नेतागण काफी अनुभवी भी हें क्योंकि स्वतंत्रता के बाद अधिकाँश रूप से कांग्रेस पार्टी ही केंद्र में सत्ता में रही है. स्वतन्त्रता के इतने सालों के बाद भी ये कांग्रेसी नेता अभी तक पाकिस्तान को समझ नहीं पाए हें और कश्मीर एवं पाकिस्तान के साथ देश को उलझते रहने में ही इनका शाशन में रहना संभव रहा है. साफ शब्दों में कांग्रेस पार्टी को यह बता देना ज़रूरी है कि अब भारत इनकी बातों में आने वाला नहीं है. मुस्लिम समुदाय को इसका एहसास तो पहले से ही था कि कांग्रेस पार्टी करती उनके लिए कुछ खास नहीं है पर उंनसे वोट अवश्य अपने पक्ष में लेती रही है. जो मुस्लिम पार्टी राजनीति के क्षेत्र में हें वो केवल मुसलमानों से चंदा लेकर एवं अन्य मुस्लिम देशों से अवैध्य तरीके से धन राशि लेकर अपनी राजनीति की दुकान चलाने में व्यस्त हें. मुसलमानों के जीवन में समृधि और ख़ुशहाली आये ऐसे विषयों में उन मुस्लिम राजनेताओं की कोई खास दिलचस्पी नहीं पायी जाती है. हर कोई संविधान में दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दम भरता है पर संविधान में नागरिक कर्त्तव्य की अपेक्षा पर बल नहीं दिया जाता. देश में रहने वाला सभी भारतीय नागरिक समान है और किसी भी नागरिक को अन्य नागरिकों की अवहेलना या अपमान करने की स्वतंत्रता नहीं है. दुर्भाग्य से वंशवाद, जातिवाद और संप्रदाय वाद के आधार पर देश को अलग थलग रखने में कांग्रेस पार्टी स्वतन्त्रता के बाद से ही सफल रही है और मुस्लिम समुदाय की भलाई के नाम पर हिन्दू समाज की अवहेलना तथा अपमान की नीति में सफल रही है. यह ज़रूरी है कि सभी संप्रदाय और वर्गों तथा धर्मों के लोग एक जुट होकर कांग्रेस या मुस्लिम राजनीतिक दलों का वहिष्कार करें और भारत के विकास की नीति पर चलने वाली राजनीतिक दल को भरपूर समर्थन दे. सबका साथ और सबका विकास ही हमारा मार्गदर्शक है. भीख का कटोरा लेकर अपनी निराशा जनक आर्थिक कमजोरी दूसरों को बताने में लाभ नहीं है. एक जुट होकर विकास के पथ पर चलने में ही भलाई है.

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