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अभद्र नेता

National Issues
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इन दिनों आप जहाँ जाएँ अभद्रता का सामना करना पड़ता है. इस अभद्रता की होड़ में वे नेता हैं जो राजनीति में हैं और इसके दम पर इनकी अवधारणा है कि उन्हें अगर जनता ने चुन कर विधान सभा या संसद में भेजा है तो इन्हें शोर मचाने या सही ढंग से विधान सभा या संसद नहीं चलने देने का अधिकार है. इन्हें अपने राज्य की या देश की भलाई की चिंता नहीं.
हमारा देश, राज्य और समाज अभी ऐसे लोगों के चपेट में आ गया है जो सिर्फ़ शोर मचाना और समाज में अराजकता लाना ही अपना काम समझते है और वेतन सरकारी ख़ज़ाने से पाना अपना अधिकार समझते हैं और जन कल्याण इसी में समझते हैं कि जनता की भलाई के नाम पर शोर मचाया जाए.
अभद्रता और अराजकता फैलाने में अरविंद केजरीवाल और आप पार्टी के अन्य सहयोगियों का नाम सबसे आगे है . अभी अरविंद महोदय का अनर्गल अभियान DDCA के गत वर्षों के कार्यों का लेखा जोखा है. इसके लिए आप पार्टी ने जाँच पड़ताल के लिए जाँच कमीशन का गठन किया है. इसी तरह के और बेकार की बातों में अरविन्द केजरीवाल तथा सहयागियों का समय बर्बाद होता है जिसके लिए जनता उन्हें वेतन सुचारू रूप से देती है. इन्हें इतनी समझ नहीं है कि दिल्ली संघ प्रशाशित क्षेत्र है और दिल्ली की सरकार को राज्य सरकार की स्वाधीनता नहीं है.
दिल्ली प्रशासन को जाँच कमीशन बिठाने का अधिकार संविधान में नहीं है. फिर भी अरविंद महोदय इन कामों में जुटे रहते है. लगता है अरविंद केजरीवाल अपने को सोनिया और राहुल के समकक्ष समझते हैं और सोनिया तथा राहुल का अनुकरण करते हैं ताकि जैसे देश के कामों में उनसे बाधा मिलता है उसी तरह से दिल्ली क्षेत्र के काम आप पार्टी करना अपना सबसे महत्वपूर्ण
उत्तरदायित्व नहीं समझती है. केंद्रीय सरकार को चैलेंज करना और दिल्ली तथा भारत के कामकाज में बाधा करना उनका परम कर्तव्य है. यहाँ यह देखना ज़रूरी है कि संघ शाशित क्षेत्रों में केंद्रीय सरकार की क्या भूमिका है?
भारतीय संविधान और दिल्ली प्रशासन
भारत में कई क्षेत्र हैं जिन्हें संघीय क्षत्रों की तरह समझा जाता है. दिल्ली तथा पॉण्डीचेर्री ऐसे दो क्षेत्र हैं जिन्हे विशेष दर्ज़ा दिया गया है और संविधान के अंतर्गत इन्हे सीमित राज्य के जैसा समझा जाता है. इस प्रकार से दिल्ली सीमित राज्य है और इसके अंतर्गत दिल्ली की अपनी विधान सभा होगी जो मंत्रिमंडल का गठन करेगी. विधान सभा अन्य पूर्ण राज्यों की तरह नेता का चयन करेगी जो दिल्ली का मुख्य मंत्री होगा. मुख्य मंत्री मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों को विधान सभा सदस्यों से चुनेगा. दिल्ली प्रदेश में पुलिस सेवा तो होगी पर पुलिस सेवा केंद्रीय सरकार के गृह मंत्रालय के आदेश पर काम करेगी. दिल्ली प्रदेश के कानून और उसकी अर्थ व्यवस्था चलाने के लिए मुख्य मंत्री को लेफ्टिनेंट गवर्नर के माधयम से केंद्रीय सरकार के साथ काम करना होगा और दिल्ली सरकार को केंद्र के साथ काम करना होगा. यदि दिल्ली सरकार कोई आयोग बैठाना चाहती है तो इसे कारगर होने के लिए पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर के समक्ष अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करना आवश्यक है और लेफ्टिनेंट गवर्नर के माध्यम से स्वीकृति मिलने पर ही इस प्रस्ताव के मसौदे के मुताबिक कोई कदम उठाया जा सकता है. दिल्ली के वर्त्तमान मुख्य मंत्री को इसका ज्ञान मुख्य मंत्री का भार संभालने के पहले होना चाहिए था और अब जो शोर मचाया जाता है दिल्ली के मुख्य मंत्री तथा उनके पिठलाग्गुओं द्वारा यह अभद्रता का प्रतीक है जो प्रजातांत्रिक व्यस्वहार के विपरीत है और दिल्ली की जनता को इसका कड़ा विरोध करना चाहिए तथा भारत के जनता को भी इससे सीख लेने की ज़रुरत है कि ग़रीबी से छुटकारा पाने के लिए ऐसे नेताओं के लुभावने वादों से दूर रहा जाए. ग़रीबी से दूर होने का कोई शार्ट कट रास्ता नहीं है. इसका समाधान सुयोजित योजनाओं, आर्थिक निवेश की बढ़ोतरी और नए कारखानों के खुलने और परिवहन की अच्छी सुविधाओं के कार्यान्वित होने में है. और इन समाधानों में समय लगता है, यदि कोई सरकार आपको यह कहती है कि सारे क्षेत्र को निशुल्क बिजली या पानी देगी तो आप पहले यह पूछिए कि आखिरकार इस खर्च को उठाने के लिए पैसों के प्रबंध कहाँ से होगा और इस प्रकार मुफ्त सेवाओं का लाभ कब तक मिलेगा, क्या इन मुफ्त सेवाओं के लिए अन्य सेवाओं की कटौती की जायेगी. बिना ठोस क़दम उंठाये ग़रीबी को दूर नहीं कर सकते है. दिल्ली के वर्तमान मुख्य मंत्री इन्हीं अनर्गल वादों से गद्दी पा सके और अब यह लोग हमारे सभ्य समाज में अभद्रता दिखला रहे हैं. उपयोगी काम जो दिल्ली की जनता की ग़रीबी, असुविधाओं तथा शिक्षा, परिवहन आदि में सुधार लए इसके स्थान में आप पार्टी केंद्र को बदनाम करने में दिन रात जुटी रहती है. देश की जनता के लिए यह बहुत बड़ा सबक है. नकली नेताओं और उनके हास्यास्पद वादों के भरोसे उन्हें वोट नहीं दे. उनसे पूछे कि इन वादों को पूरा करने के लिए पैसे कहाँ से आएंगे. मुझे अफ़सोस होता है उन ग़रीबों पर जो आप पार्टी को वोट देकर बहुमत में लाये. दिल्ली वासियों तथा अन्य भारत वासियों को मैं कहना चाहूंगा कि लुभावने वादों के बल पर वोट नहीं दे. जैहिंद.

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