Menu
blogid : 26358 postid : 6

किराये का दोस्त

fun and politics
fun and politics
  • 3 Posts
  • 1 Comment

वो थोडा सा भोला-भाला और थोडा सा शातिर था,  उसमे थोड़ी सी नादानी अब भी बाकी थी पर बाते बड़ी बड़ी किया करता था। वो दीखता बेवकूफ था पर पढाई में बहुत तेज़ था। कहने को उसके बहुत सारे दोस्त थे पर वो अंदर से बिलकुल अकेला था। वो सब से अलग था क्युकी वो अपनी ही शर्तो पे जीता था, जो भी सोचता था करता था  चाहे उसका अंजाम जो भी हो। उसने अपनी Life के लिए कुछ रूल्स बना रखे थे उसमे एक रूल ये था की वो कभी किसी लड़की से दोस्ती नहीं करेगा। क्योंकी वो मानता था की एक लड़की या औरत उसकी माँ हो सकती है या बहिन हो सकती है, वाइफ हो सकती है। उसकी classmate हो सकती है या उसके साथ काम करने वाली Collegue हो सकती है पर उसकी दोस्त कभी नहीं हो सकती।शाहरुख़ खान ने भी एक फिल्म में कहा था- “एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते है।” सकी मुलाक़ात एक ऐसी लड़की से हुई जिसने उसके इस रूल को गलत साबित कर दिया  वो इतना मजाकिया था की अपनी बातो से किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर लेता था। उसके इस पर्सनालिटी ने उस लड़की को भी इम्प्रेस किया।

 

 

शनिवार का दिन था और शनिवार को office में काम कम और मस्ती ज्यादा होता था और अगर बॉस नहीं आये है तब तो पूरी छूट थी। रमेश बॉस के कुर्सी पे बैठ के कुछ काम कर रहा था। पूनम उसके ठीक सामने अपने कंप्यूटर पे फेसबुक चला रही थी, वो फे बुक पे अपनी ही पुराणी फोटोज देख रही थी।  क्योकी वो रमेश के सामे बैठी थी रमेश सबकुछ देख सकता था, रमेश ने मज़ाक करते हुए पूनम से उसके फोटो के बारे में ही पूछते हुए कहा- “ये आंटी कौन है” “मैं आपको आंटी लगती हूँ ,” पूनम ने जबाब देते हुए कहा, फिर उसने अपनी सारी फोटोज रमेश को दिखाई | रमेश हर फोटो को देख कर मजाकिया Response करता।

ऑफिस से जाने से पहले रमेश ने पूनम से अपने मजाक के लिए माफ़ी मांगी और कहा, “अगर आपको मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो, sorry! मैंने बस मज़ाक….।”“अरे ! कोई बात नहीं, मैं जानती हूँ ”, रमेश की बात काटते हुए पूनम ने कहा । रमेश जाना नहीं चाहता था पर एक ज़रूरी काम था सो उसे जाना पड़ा। इस तरह के मज़ाक दिन ब दिन बढ़ने लगे, रमेश रोज पूनम को गुस्सा दिलाता और लास्ट में sorry बोल देता था वो रोज़ रोज़ झगरते थे और फिर दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाते थे और फिर अगले दिन फिर दोस्ती तोड़ भी लेते थे।

रमेश उससे दोस्ती नहीं करना चाहता था इस लिए बार बार कुछ ऐसा करता जिससे पूनम रूठ जाती फिर उसे एहसास होता की नहीं इस तरह से नहीं, किसी को तकलीफ दे कर तो कभी नहीं।  ये सोच कर Sorry बोलता और फिर वो दोनों दोस्त हो जाते। उसके रूल्स के चित्थ्र्रे उड़ गये  क्योंकी एक लड़की उसकी दोस्त बन कर उसके जिन्दगी में आ गयी थी। ऐसा दोस्त जो एक दुसरे से बाते किये बिना न रह पाए, एक ऐसा दोस्त जिसके लिए अगर कभी जान भी देना पड़े तो हस्ते हस्ते मर जाये | उसे अब लगने लगा था की मेरे बनाये रूल्स गलत निकले, शाहरुख़ खान गलत निकला । अगर दिल से दोस्ती निभायी जाये तो एक लड़का और एक लड़की दोस्त क्यों नहीं हो सकते !

उसके बाद जो रमेश के साथ हुआ उसने उसकी जिंदगी बदल दी,  उसे ठीक से friendship का स्पेल्लिंग भी नहीं पता था और वो चला था दोस्ती करने.., वो भी एक लड़की से। कहते है की अगर आप अपने दोस्तों से, अपने परिवार वालो से या किसी से भी सब सच सच बता दो तो रिश्ते और भी गहरे होते चले जाते है। उसने भी पूनम से सब सच सच बताया की वो उससे दोस्ती नहीं करना चाहता था फिर भी इंसान को कभी कभी अपने दिम्माग से नहीं दिल से काम लेना होता है इसलिए उसने उससे दोस्ती कर ली। रमेश पूनम के बारे में जो भी सोचता था सब उससे कह दिया और ये भी पूछा की- “आप मेरे बारे में क्या सोचती है।”

पूनम ने कहा की बाद में बताउंगी। तो रमेश ने कहा- “ऑफिस में ! सबके सामने, मुझे बदनाम करने का इरादा है क्या ” पूनम ने कहा- “अरे नहीं, ऐसा क्यों सोचते है हम फ्रेंड है न।” सब कुछ ठीक चल रहा था | पूनम का साथ होने के कारण रमेश के एक्साम्स भी क्लियर हो गए, रमेश उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता था। लेकिन destiny को कुछ और ही मंज़ूर था,  एक छोटी सी गलतफहमी  ने दोनों की दोस्ती के बिच दीवार खड़ा कर दिया। रमेश जब भी गुस्से में होता तो सामने वाले को कुछ भी बोल देता था क्युकी वो किसी से डरता नहीं था,  वो अपने साथ हुआ सबकुछ अपने ऑफिस के एक सीनियर और एक जूनियर को बता देता था। वो मानता था की जब कुछ भी गलत नहीं है तो छुपाना कैसा। कहते है न कि जब दूरिया बढती है तो मजबूरिया भी बढती है, और लोगो को वो भी सुनाई देता है जो किसी ने कुछ कहा ही नहीं।

वो उसकी जिंदगी में आई थी उसकी दोस्त बनकर कुछ महीनो के लिए, उस घटना को कई साल हो गए। कुछ दिनों के लिए ही सही रमेश उसपे विश्वास तो करता था.  दोस्त अब भी मानता था पर उसके पापा का कहना था- “जो साथ में होता है वही दोस्त है ” बाकि आना जाना तो इस दुनिया का नियम है। जो आज है वो कल नहीं रहेगा और यादो का क्या है जब तक आप खुद को बिजी रखते हो आपको दूसरा कुछ भी याद नहीं रहता। मैंने जब रमेश से उसके बारे में पूछा तो उसने सिर्फ इतना ही कहा कि वो उसकी जिंदगी में “किराये का दोस्त” बन कर आई थी जिसने उससे अपनी दोस्ती का रेंट (किराया) भी नहीं लिया।

 

By: Dev Kumar

Email: devdasreturn@yahoo.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh