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वो साइकिल वाली लड़की

fun and politics
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किसी इंसान के कुछ होने या न होने क पीछे एक वजह होता है | बिना वजह के कुछ भी नहीं होता | मैं आज जो कुछ भी हूँ इसके पीछे भी कई वजहे है | उनमे से एक वजह यहाँ लिख रहा हूँ |

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जिस वजह की मैं बात कर रहा हूँ , वो वजह बहुत ही खुबसूरत सी वजह थी | मुझे आज भी याद है वो दिन जिस दिन जब मैंने उसे पहली बार देखा था | वो साइकिल से थी , और मैं पैदल अपने दोस्त के साथ कही जा रहा था | आप यकीन मानिए मैंने इस तरह की ख़ूबसूरती पहली बार देखी थी | आँखों में वो शर्म , चेहरे पे वो सादगी , और होटों पे वो मुस्कान पहली बार देखा था |

उसकी खूबसूरती को पेपर पे उतारना नामुमकिन है | तन की सुन्दरता को तोह पेपर पे उतारा जा सकता है पर मन की सुन्दरता को नहीं | इस गाने का मतलब भी मुझे उस दिन ही पता चला |

“ है रूप में इतना सादापन तोह कितना सुन्दर होगा मन”

दूसरी बार मैंने उसे अपने स्कूल में देखा | तब मैं 11th में था |वो अपने बहन के साथ थी | मैं उसका नाम तक नहीं जानता था | मैंने अपने एक फ्रेंड से पूछा के ये लड़की कौन है , तो उसने कहा कि ये उसकी बहन है | मैंने नाम नहीं पूछा | वो मेरे स्कूल में नहीं थी | किसी दुसरे स्कूल में पढ़ती थी | उसकी बहन मेरे ही स्कूल में थी सो अपनी बहन के साथ कभी कभी इस स्कूल आ जाया करती थी | मेरा सब्जेक्ट कॉमर्स था और उसका आर्ट्स , मैं उससे बात करता भी तोह आखिर किस टॉपिक पर | वो अक्सर मेरी आँखों के सामने आती रही | एक दो दिन मैंने उसे follow भी किया पता चला की 7 किलोमीटर दूर किसी गाव से आती है वो भी साइकिल से |

उस वक़्त मेरे में हिम्मत नहीं थी की मैं उससे बात कर पता पर जब भी मैं उसकी आँखों में देखता तो उसको ये एहसास दिला देता की “ऐ हसीं लड़की ! जो भी नाम हो तुम्हारा , मैं तुम्हे  पसंद करता हूँ और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ | ये जो तुम्हारी आँखे है न , हा वही हलकी भूरी सी आँखे , मैं इनमे डूब जाना चाहता हूँ | लेकिन मैं कोई भी काम बिना इज़ाज़त के नहीं करता |”

मैं शायरी करता था पर उसके सामने मेरी हर शायरी फैल थी | मैंने एक Poem लिखा :-

“हो इज़ाज़त अगर आपकी तोह एक बात पुछु,

जो सुनो आज दिल की तो एक बात पुछु…..

उसके बाद उससे क्या पूछना है मैं अक्सर भूल जाया करता था | जब वो अपने स्कूल जाती तो मेरे ही घर के तरफ से जाती थी | जब वो मेरे घर के पास से गुज़रती मैं भी अपना साइकिल लेकर थोड़ी दूर तक उसके पीछे जाता | मुझे उसके पीछे जाना अच्छा नहीं लगता था पर ये सब करना पर रहा था ताकि मैं उसका Intention पा सकू | मैं चाहता था की मेरे दिल में जो भी है वो मेरी आँखों से पढ़ ले | मैं उससे दोस्ती करना चाहता था | शायद मैं उससे प्यार करने लगा था |

मैं उसके पीछे ज़रूर गया पर अपनी बात कहने से डरता था क्युकी मुझे इनकार पसंद नहीं है |

फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने मेरी जिन्दगी ही बदल दी | सबको मुझसे उम्मीदें थी पर मेरे घरवालो ने कभी भी मुझ पर दबाब नहीं डाला | उनका कहना था की जो भी करोगे अपने लिए करोगे | लेकिन मैं अपने लिए भी कुछ नहीं करना चाहता था  | अगर मैं कुछ करना चाहता था या बनाना चाहता था तो सिर्फ और सिर्फ उस साइकिल वाली लड़की के लिया |

एक दिन मैंने खुद से सवाल किया की मान लो की तुम उससे प्यार करते हो और वो भी तुमसे प्यार करने लगे तो क्या तुम उससे अभी शादी कर लोगे | मान लो तुम्हारे पापा तैयार हो भी जाये पर क्या उसके पापा तैयार होंगे | अगर उसके पापा ने पूछा की बेटा क्या करते हो तो क्या कहोगे “आपकी बेटी से प्यार |”

मान लो तुम दोनों की शादी हो जाती है  फिर उसे खुस कैसे रखोगे, अपने प्यार से | खुश रहने के लिए पैसा चाहिए | पैसे के लिए अच्छी नौकरी चाहिए और नौकरी के लिए पढ़ना ज़रूरी है | 12th तक पढ़ कर तुम कोई बड़ा तीर नहीं मार लोगे |

फिर मैंने पढ़ाई का रास्ता चुना क्युकी ये रास्ता मुझे अच्छा लगा | हम दोनों एक दुसरे को सिर्फ नजरो से पहचानते है | जब मैं उसे देखता हूँ तो वो भी हलके से स्माइल के साथ मुझे देखती है | इसका मतलब ये तो नहीं है की वो भी मुझे पसंद करती हो |

मैंने 12th के बाद अपना शहर छोड़ दिया और पटना आ गया | शहर छोड़ते वक़्त पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी आत्मा उससे कह रही हो– मेरा इंतज़ार करना |

वक़्त की दौड़ ने मुझे खूब भगाया , कभी अपनों से , कभी अपने दोस्तों से तो कभी उस लड़की से जिसका मैं नाम तक नहीं जानता था फिर भी उसे पसंद करता था | वो हर पल मेरे ख्यालो में रही और हर पल मैं भगवान् से ये दुआ मांगता की मेरे कुछ बन जाने तक उसकी शादी न हो |

लेकिन वक़्त नहीं रुकता न ! उसका M.A. कम्पलीट भी हो गया होगा और उसकी शादी भी हो गयी होगी | अब हम फिर से मिले भी तो शायद ही वो मुझे पहचान पाए | मुझे इस बात का गम नहीं की वो मुझे न मिली | लेकिन मैं आज जो भी हूँ बस उसकी ही वजह से हूँ | अगर उसे पाने की चाहत न होती तो शायद आज मैं ये लिख नहीं रहा होता |

एक सच्चा दोस्त वो होता है जो आपको सही रास्ता दिखाए | भले ही आजतक मैंने उससे कभी बात नहीं किया लेकिन उसकी सुन्दरता ने, उसुसके भोलेपन ने और उसकी प्यारी सी Smile ने मुझे जिंदगी का सही रास्ता दिखाया | वो मेरी सच्ची दोस्त है; ये बात अलग है की एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते | शाहरुख़ खान का ये Dialouge मेरी जिंदगी में लागू नहीं होता |

मैंने कभी उसे  Propose नहीं किया कभी अपने दिल की बात उसे नहीं बताई इसका मतलब ये नहीं था की मैं उससे सच्चा वाला प्यार नहीं करता था | मेरे कुछ दोस्तों ने कहा अगर सच में प्यार करते हो तो बता क्यों नहीं देते | मैंने कुछ जबाब नहीं दिया | क्युकी प्यार करना बहुत आसन है पर उसे Express कर पाना बहुत मुस्किल |

मैंने प्यार का रास्ता छोड़ दिया और पढ़ाई का रास्ता चुना क्युकी Love Story से भी कही ज्यादा Interesting होती है जिंदगी की Story, Life की Story |

Love Story में एक लड़की होती है, एक लड़का होता है और थोडा प्यार, थोडा इमोशन होता है | ज्यादातर Love Stories में मैंने देखा है की लास्ट में Hero या Heroien  मर जाते है या Sucide कर लेते है | लेकिन जिंदगी के story में Love, Emotion, Adventure, Suspense  सब कुछ होता है |

मैं कही भी क्यों न रहूँ, वो साइकिल वाली लड़की आज भी मेरे दिल में रहती है | और जब भी उसके बारे में सोचता हूँ मेरी जिंदगी दो-चार कदम और भी आगे बढ़ना चाहती है |

हर किसी के जिंदगी में वो साइकिल वाली लड़की सायद न आती हो पर एक ऐसा दोस्त ज़रूर आता है जो हमें Life में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है |

***समाप्त***

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