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जीना चाहूँ संग तुम्हारे

Yogdan
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जीना चाहूँ संग तुम्हारे एक छोटे से गाँव में
सुख में दुख में साथ न छूटे तेज धूप में छांव में ,

पास आओ मैं तुम्हें सुनाऊँ है मेरा एक सपना ,
एक छोटे से गाँव में हो एक छोटा सा घर अपना ,
आँगन में दो नन्हें खेले पहने पैजन पाँव में ,
जीना चाहूँ संग तुम्हारे…..

आँगन के कोने में सुंदर मंदिर एक बनाएँगे ,
रंग बिरंगे फूलों से पत्तों से खूब सजाएँगे ,
तुम करना पूजा रोज सुबह जब मुर्गा बोले गाँव में ,
जीना चाहूँ संग तुम्हारे……

मैं खेतों में काम करूँ तुम अल्पहार ले आओ ,
फिर अपने कोमल हांथों से खुद ही मुझे खिलाओ ,
बैठेंगे हम दोनों मिलकर हरे पेड़ की छांव में ,
जीना चाहूँ संग तुम्हारे……..

शाम ढले जब वापस आऊँ तुम्हें द्वार पर पाऊँ ,
खिलता चेहरा देख तुम्हारा सारी ब्यथा मिटाऊँ ,
अपने सब दिन ऐसे बीतें जीवन की एक नांव में ,
जीना चाहूँ संग तुम्हारे……..

देव कुमार जायसवाल

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