Menu
blogid : 12072 postid : 12

तुमसे मिलकर

Yogdan
Yogdan
  • 13 Posts
  • 9 Comments

खाली हांथों तुमसे मिलने बोलो कैसे आऊँ मैं ,
तुमसे मिलकर प्रिए तुम्हारा दिल कैसे बहलाऊँ मैं ?

अपने जज़्बातों को लेकर एक दिन में बाजार गया ,
सोचा इनको बेंचूगा , बदले में कुछ पैसे लूँगा ,
उन पैसों की सारी खुशियाँ पास तुम्हारे लाऊं मैं,
तुमसे मिलकर प्रिए तुम्हारा दिल ऐसे बहलाऊँ मैं ,
खाली हांथों तुमसे मिलने…..

मिला शख्स ना एक वहाँ पर जो मेरे जज़्बात खरीदे ,
मैं खरीद लूँ खुशियाँ सारी मुझको इतनी कीमत दे दे ,
क्या बीती है बाजार में, कैसे तुम्हें बताऊँ मैं ,
तुमसे मिलकर प्रिए तुम्हारा दिल कैसे बहलाऊँ मैं ?
खाली हांथों तुमसे मिलने…..

परिभाषा बदली खुशिओं की उफ़ ! जाने अनजाने में ,
जज़्बातों को कोई ना पूंछे अब के नए जमाने में ,
कोरे जज़्बातों को कैसे पास तुम्हारे लाऊं मैं ?
तुमसे मिलकर प्रिए तुम्हारा दिल कैसे बहलाऊँ मैं ?
खाली हांथों तुमसे मिलने……

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply