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बहुत कठिन है डगर तुम्हारी…

Yogdan
Yogdan
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बहुत कठिन है डगर तुम्हारी , फिर भी चलकर दिखलाना ,

मानव के कर्मों से उसको , सदियों रखता याद जमाना ,

 

धूमिल है ईमान यहाँ , बेईमानी के उंजियारे में ,

सत्य दया इंसाफ खो गए , हिंसा के अँधियारे में ,

सब करते हैं वार सभी पर ,क्या हासिल है बतलाना ।

बहुत कठिन है डगर तुम्हारी…

 

प्रेम की परिभाषा है ओछी , और प्यार छल जाता है ,

सोचो क्यों हर शख्स स्वयं को, यहाँ ठगा सा पाता है ,

एक दूजे को हम क्यों छलते , कोई मुझको समझाना ।

बहुत कठिन है डगर तुम्हारी…..

 

अर्थ हीन सब रिश्ते नाते , कैसी हवा नई आई ,

जीवन मूल्य धरोहर हो गए , उनकी होती सिर्फ पढ़ाई ,

लोग यहाँ सब अभिनय करते , इन्हे हकीकत सिखलाना ।

बहुत कठिन है डगर तुम्हारी….

 देव कुमार जायसवाल

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