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Chhath Puja 2013: खरना का विशेष महत्व है

Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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छठ व्रत दीपावली के बाद आरंभ होता है। खरना यानी व्रत की शुरुआत का दूसरा दिन। उस दिन व्रती स्नान-ध्यान कर शाम को गुड़ की खीर-रोटी का प्रसाद खाकर उस दिन का खरना पूरा करता है। ऐसी मान्यता है कि गुड़ की खीर खाने से जीवन और काया में सुख-समृद्धि के अंश जुड़ जाते हैं। अत: इस प्रसाद को लोग मांगकर भी प्राप्त करते हैं, अथवा व्रती अपने आसपास के घरों में स्वयं बांटने के लिए जाते हैं ताकि जीवन के सुख की मिठास सिर्फ अपने घर में ही नहीं समाज में भी घुल मिल जाए। इस बार यह पर्व 8 नवंबर, शुक्रवार को है।

Chhath Puja 2013
खरना के बाद दूसरे दिन से 24 घंटे का उपवास आरंभ होता है। दिन को व्रत रखने के बाद शाम को नदी अथवा सरोवरों के किनारे सूर्यास्त के साथ व्रती जल में खड़ा होकर स्थान के बाद सूर्य को अर्घ देते हैं। ऐसी मान्यता है कि व्रती के कपड़े धोने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है। ऐसे में लोग न सिर्फ व्रती के कपड़े धोकर पुण्य कमाते हैं बल्कि सिर पर घर से नदी किनारे तक प्रसाद से भरी टोकरी या थाल को उठाकर ले जाने पर भी पुण्य के भागी बन जाते हैं। पूजा-अर्चना के समय घी के दीपक जलाए जाते हैं। नदी के जल में दीपों की पंक्तियां सज जाती हैं।

शाम का अध्र्य देने के पश्चात व्रती सूर्यास्त के बाद ही घर लौटते हैं। कई व्रती विशेष अनुष्ठान कोसी भरना करते हैं। इस विशेष अनुष्ठान में प्रसाद के बीच गन्नों के घेरे में दीप जलाकर और छठ पर्व के लोक गीत गाकर सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। यह देर रात तक चलता रहता है।

chhath puja 2013


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