Menu
blogid : 7980 postid : 1152552

मानव धर्म नक़ल से अधिक कुछ नहीं

उद्गार
उद्गार
  • 61 Posts
  • 22 Comments

मानव धर्म ???

मानव शब्द का अर्थ क्या है? धर्म का अर्थ क्या है ? “मानव – धर्म” से क्या तात्पर्य है ?

ये नए नए तरह से शब्दों विन्यासित कर प्रयोग करने से कुछ नवीन अर्थ का बोध कराने का प्रयास क्यों ?

क्या मानवीयता पर संस्कृत वांग्मय में भारतीय प्राचीन मनीषियों ने कम लिखा है ? अथवा इन मानव धर्म “प्रतिपादित ” करने वालों कुछ कम लगता है जो ये “human being” के “advance version” भारत वासियों को बताना चाहते हैं ?

इस तरह से मेरी दृष्टि में ऐसे लोग …लाल पीली हरी चटनी चटाने वाले बाबाओं से अथवा चादर से सजने वालों से कोई अलग नहीं …जो मूल चित्र की नक़ल बना – बना कर चितेरे बने फिर रहे हैं …हैं तो वो लोग भौंडी नक़ल करने वाले ही न …

अक्सर किसी बड़े चित्रकार — फ़नकार — मूर्तिकारों की नक़ल करते हुए लोग बड़ा नाम प्राप्त कर लेते हैं ..इस में कोई हैरानी नहीं …””मानव -धर्म” जैसा phrase उछाल कर ये सनातन मत की भौंडी नक़ल ही कर रहे हैं ….और अपने आपको मूल से बेहतर साबित करने की कोशिश करते हुए समझे जा सकते हैं ..

वो आप को भी याद होगा …मूल फ़िल्मी गाने में झंकार – बीट्स भर कर नया बना देना …कुछ कुछ वैसा ही है ये धंधा ..दो पैसा कौन नहीं कमाना चाहता ..

बस फर्क ये है कि वो खुलकर पैसा मांगते हैं ..और वो वोट…

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh