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Yah kaisa desh hamara?

samajik kranti
samajik kranti
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एक छीक आई तो उनको, आय सैकड़ों डाक्टर।।
निर्धनता के कारण से वह, बच न सका बिचारा।
यह भारत देश हमारा, यह भारत देश हमारा।।
बीस रुपये में एक का दिन हो, एक की लाख कमाई।
रूखी सूखी मिलना मुश्किल, इतनी है मँहगाई।
कहते हमें न जादू आती, नहीं ज्योतिषी हम हैं,
कब कम होगी यह मँहगाँई, किसी ने बात उठाई।।
ऐसी मँहगाई में कैसे, जनता करे गुजारा।
यह भारत देश हमारा, यह भारत देश हमारा।।
कहने को तो कहते सब हैं, देवी होती नारी।
होती शक्ति का प्रतीक जो, बना दिया बेचारी।
है दहेज अपराध ये घोषित, मगर कोई न माने,
नहीं दहेज मिला मंत्री को, बहूं जलाकर मारी।।
केश दर्ज जो हुआ लगी थी, आत्महत्या की धारा।
यह भारत देश हमारा, यह भारत देश हमारा।।
शिक्षा मंत्री आज बना जो, हुआ था पास नकल से।
वह मंत्री कानून बना कानून जो तोड़े कल थे।
वित्त मंत्रालय मिला है उसको, परख योग्यता उसकी,
पहले करता था स्मगलिंग, धंधे दो नम्बर के।।
माँग रहा पशु मंत्रालय वह, जिसने खाया चारा।
यह भारत देश हमारा, यह भारत देश हमारा।।
जहाँ धर्म के कारण से ये, देश हमारा बँटता।
मंदिर मस्जिद में ये आदमी, धर्म नाम से कटता।
धर्म बाँटता, धर्म काटता, धर्म लूटता हमको,
धर्म नाम से होती हिंसा, मुझको तो यह लगता।
मंदिर मस्जिद जगह बना तो, अस्पताल औ शाला।
सुन्दर ताकतवर फिर होगा, भारत देश हमारा।।

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