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एक राजनैतिक दल का विज्ञापन (यदि आप बेरोजगार हैं तो)

samajik kranti
samajik kranti
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एक  दल का, निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?
झूठ जो सबसे अधिक  बोले,
और जनता का करे शोषण।
धर्म  जाति की करें बातें,
भ्रष्टता का जो करे रोपण।।
पार्टी फंडों के हित में जो,
लूट सकता देश का पैसा।
एक दल का, निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?
तोड़ता हो संसदीय गरिमा,
गुण्डों का उसको समर्थन हो।
धंधे हो दो नंबरी उसके,
विदेशों में ये काला भी धन हो।।
इनमें से गुण एक न कम हों,
चाहिये नेता हमें ऐसा।
एक दल का, निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?
श्वेत कुरता, दिल मगर काला,
बोलता हो जो असभ  भाषा।
जनता देगी वोट ऐसों को,
वोटरों से है बड़ी आशा।।
ऐसा नेता हार न सकता,
जैसा चाहें नेता है वैसा।
एक  दल का, निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?
जेल  की जिसको सजा हुई हो,
और जिससे डरते हों वोटर।
पार्टियाँ बदले जो हर सीजन,
कत्ल के कई केश  हों जिसपर।।
जेल से छूटे तो स्वागत में,
शहर में निकले बड़ा जलसा।
एक दल  का, निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?
जिसका हो धंधा वसूली का,
और जो खुद भी हो किडनैपर।
वादा करना, तोड़ना आये,
दाव पेंचों में हो जो माहिर।।
जिसका न कोई धर्म  ईमां हो,
जो बदलता पार्टी सहसा।
एक दल का, निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?
लूट पाटों में रहे शामिल,
शहर में दंगे जो करवाये।
मास्टर हो छल कपट में जो,
कोई न उसको पकड़ पाये।।
जिसमें गुण यह, वह भरे फारम,
चाहिये नेता हमें जैसा।
एक दल का निकला विज्ञापन,
चाहिये नेता हमें कैसा?

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