samajik kranti
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धार्मिक परम्पराओं के आधार पर गुरु अपने अपराधों पर शिष्यों द्वारा पर्दा डलवाते हैं।
लोग क्यों अपने जीवन को गुरु के हवाले कर उनकी कठपुतली बन जाते हैं।
असुरक्षा और आत्मविश्वास की कमी के कारण ही लोग अपने बहुमूल्य जीवन को गुरु की खोज में लगाते हैं।
आखिर गुरु ऐसा क्यों चाहते हैं कि आप अपने दिमाग से सोचना बंद करें, जो गुरु जो कहे उसका अंधानुकरण करें। सावधान हो जाइये ऐसे गुरुओं से जो कहें कि अपना मोबाइल मेरी फोटो के सामने रख कर चार्ज कर सकते हैं।
गुरुओं को चढ़ावा देकर आप अपनी किस्मत और भविष्य किसी वस्तु की तरह बाजार से नहीं खरीद सकते। इसे तो स्वयं बनाना पड़ता है।
जितना दान पर गुरुओं और मंदिरों को दान करते हैं यदि वह संसार के परोपकारों में लगाये जायें तो यह संसार भी स्वर्ग बन सकता है और हमें स्वर्ग के लिये अपनी सीट सुरक्षित नहीं करवाना पड़ेगी।
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