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तू कितनी भोली है, कितनी प्यारी है “माँ “

पहचान
पहचान
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हम को तो माँ का वो चेहरा याद है
फूंका करती थी अंगेठी को
वो फुंकनी  भरा हाथ याद है
प्यार से मिलती थी
गर्माहट और नरमाहट
वो प्यार भारी गोद याद है
सर्दियों कि धूप जैसा
माँ का वो चेहरा याद है
साईकिल से गिरी थी
जब पहली बार
मेरे दर्द में, उनका
आँसू भरा चेहरा याद

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प्यार से रखा था, हाथ सर पर
वो प्यार भरा एहसास याद है
ठंडी छाँव जैसा
माँ का वो चेहरा याद है
मेरी गुड़िया कि शादी में
वो तमाम इंतज़ाम याद है
मेरी नादानियों में
वो हँसता मुस्कुराता चेहरा याद है
बसंत बहार सा
माँ का वो चेहरा याद है
कई बार हो जाती है
घर आने में जो देर
मुझे उनका वो
परेशानी वाला चेहरा याद है

jk

काली घटा सा

माँ का वो चेहरा याद है

गुस्से में कर जाती हूँ, जो ग़लतियाँ

वो उनकी नसीहत भरी डांट याद है

तपती दुपहरी सा

माँ का वो चेहरा याद है

मेरी परेशानियों में परेशान हो जाना

मेरी खुशियों में जश्न मनाता चेहरा याद है

बिन मौसम कि बरसात सा

माँ का वो चेहरा याद है

जब भी झुका है सजदे में सर उनका

मेरी खुशियों के लिए मांगी

हर एक दुआएं याद है

CB106347 सदा बहार सा

माँ का वो चेहरा याद है

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