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सीजन फैशन की भक्ति का

पहचान
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सावन का महीना जहाँ देखिये वहीँ हरियाली है सब कुछ धुला धूला हुआ बस सड़कों का छोड़ दिया जाये तो प्रकृति से जुडी  हर चीज धुल गयी है सरकारी कार्य का तो  आम इन्सान कुछ कर नहीं सकता खुद सरकार अपने विभाग की सुध नहीं लेती प्रकृति  तो फिर प्रकृति है उसके भी बस से बाहर  की  बात है सड़कों को बरसात में सलामत रखना उसका इलाज तो हमारे पास भी नहीं …………………अरे बात तो सावन की हो रही थी और हम भटक गए यार जब भी सरकार की बात होगी हर इन्सान भटकेगा खैर  छोडिये सरकार की बातों को

सावन का महीना आते ही मन मयूर नाच उठता है गर्मी की तपती दुपहरी से राहत  मिल जाती है वहीँ कई बार छुट्टी का मौका भी मिल जाता है अमा यार जब सडको में पानी भरा रहेगा तो छुट्टी तो हो ही जाएगी न कहीं भी जाने से

ऐसे ही एक दिन हम घर में थे तो पता चला आने वाले रविवार को महाशिवरात्रि है वैसे तो सावन का महीना ही शिव जी को समर्पित है मगर शिवरात्रि का खास महत्त्व है अगर कोई व्यक्ति पूरे साल भी पूजा अर्चना न करे इस दिन अगर शिव जी की आराधना भर से उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है अब इतना बड़ा पर्व जहाँ पाप दूर हो रहे हो उसके कष्ट मिट रहे हो उसके लिए हर किसी के दिल में उत्त्साह तो होना लाजमी है

आम्मा सुबह से कह रही है कि कल शिव जी के  जलाभिषेक के लिए जाना है  बेलपत्र  फूल ला दे . हम चले जायेंगे की रट लगाये थे हिल नहीं रहे थे, कब तक आम्मा हमारे लारे में बैठी रहती तो उनका शिव महिमा का गुणगान शुरू हो गया ………………एक हमारे घर ही नालायक ने जन्म लेना था सारी दुनिया हरिद्वार कांवड़ के लिए जा रही है एक ये नास्तिक है की जो थोड़ी दूर से बेलपत्र फूल नहीं ला सकता उन का बडबडाना शुरू होना था की हम भी चल दिए गुस्से में उठ के

चौक में जा कर सोचा कुछ हाल चल जान आये और थोडा अम्मा का काम भी कर आयें …………चौक में आज पहले जैसी चहलपहल नहीं थी हम सोच में पड़ गए ऐसा तो पहले कभी नहीं देखा ये बिन मौसम के इतनी भीड़  कैसी  जानने के लिए विष्णु की दुकान में पहुँच गए जहाँ हम को पता था सारी जानकारी मिल जाएगी अरे जहाँ फलां घर में क्या चल रहा है ये तक पता होता है तो भीड़ का तो जरुर पता होना था … हम जैसे ही आगे बढे हम को अपने एक परिचित मिल गए …….कहने लगे क्या बात भैय्या आप भी जा रहे हो …………………हमने जरा आश्चर्य से पूछा ..क्यूँ भाई कहाँ जाना है जो हम चले …… अब हम से जयादा चौंकाने की बारी उन की थी बड़े ही आश्चर्य से हम को देखने लगा जैसे हम लादेन के रिश्तेदार हो ………अब हम से रहा न गया हम पूछ ही बैठे की भाईसाहब ऐसी क्या गलती हो गयी हम से जो ऐसी शक भरी नजरो से देख रहे हो…………वो सज्जन बड़े राज से हमारे पास आ के बोले क्यूँ कांवड़ के लिए हरिद्वर नहीं जा रहे हो……………………उनका इतना कहना था की हम बुरी तरह चौंक कर उनकी तरफ देखते है अरे जिन्होंने पूरे  साल भगवन का नाम न लिया हो कोई धर्म का काम न किया हो एक नंबर के आवारा वो हम को ये बात बोल रहा है ……………थोडा अपने को सामान्य बनाते हुए हमने कहा नहीं हम तो नहीं जा रहे है . क्या आप जा रहे हो?? बड़ा सा हाँ करते हुए बोले हम सभी जा रहे है तू भी चलता तो मजा आ जाता ..

हमने कहा इसमें मजे की क्या बात है ..वो बोला अरे बड़ा मजा आता है  सारे  रास्ते  हंगामा करते हुए जायेंगे वापसी में बम भोले बम भोले की जयकार करते हुए आयेंगे

हमने सोचा अम्मा अभी इन्ही लोगो का गुणगान कर रही थी हम को नालायक और इनको महान बोल रही थी हम उन महान  सज्जन से विदा ले कर अपने परिचित के यहाँ बेलपत्र और फूल लेने के लिए चल दिए

वहां पहुंचे तो हम थोडा सा डर गए देखा वहां खूब भीड़ हो रही है मन में आशंका ले कर हम आगे बढ़ रहे थे दिल ही दिल में किसी अनहोनी की आशंका से हम डरे जा रहे थे जैसे तैसे हम भीड़ के  करीब पहुंचे मामला अपने आप साफ़ हो गया यहाँ भी शिव  भक्तो का रेला था हर कोई छीना झपटी  में लीन था हम बचते बचाते अपने परिचित से मिलने को बढ़ ही रहे थे तो देखा   वो वहां खिड़की से खड़े सीधा प्रसारण का मजा ले रहे थे हमने वहीँ से प्रणाम किया वो भी मुस्कुराते हुए मिले कहने लगे क्यूँ भाई तुम भी अपना पाप   धोना चाहते हो इन पापियों  की भीड़ में अपना नाम लिखना चाहते हो ………………….हमने कहा अभी तो इन झaझट  से दूरी भली अम्माजी के आदेश से यहाँ आये है

हम जरा सिफारिशी अंदाज में उनसे बेलपत्र जल्दी दिलवाने का बोले तो परिचित जरा हँसते हुए बोले

हम अभी खुद प्रतीक्षा में है आईये तब तक चाय का आनंद लेते है हमे ये उपाय उपयुक्त लगा जितना चाय बनती हम भी सीधा प्रसारण देखने लगे लोगो को एक दुसरे का सर फोड़ते हुए आनंद विभोर होते रहे

थोड़ी देर में चाय पी कर और कुछ बेलपत्र का इंतजाम कर घर को चल दिए और सोचने लगे ये तो सीजन ही है भक्ति का अब हर ऐरा गैर इस रस में डूबा है तो उसमे कोई आश्चर्य नहीं ……….इस ही सोच में घर पहुंचे आम्मा जी का गुस्सा भी अब शांत हो चुका था

हम बड़ी बेताबी से दुसरे दिन का इंतजार कर रहे थे हम देखना चाहते थे की कांवड़ियों  इस भीड़ में कौन कौन शामिल है, कोई सच्ची श्रद्धा  और निष्ठा मन में है या हुड़दंग का अरमान लिए ये सीजन फैशन की भक्ति का है ………………..

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