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जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक महान है

ॐ सनातनः
ॐ सनातनः
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अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते ।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥

 

 

लक्ष्मण-  लंका स्वर्ण द्वारा निर्मितं है इसके उपरान्त भी मेरी इसमे कोई रुचि नही है क्योंकि जननी (माता)  एवं जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक महान है।”

 

 

आजकल भगवान् श्रीराम द्वारा कहे गये इन वचनों का पालन स्वंय यह प्रकृति कठोरता से करा रही हैं। आजकल सभी मनुष्य अपनी जन्मभूमि को छोड़कर अनेकों स्थानों पर धन अर्जित करने के लिए चलें जाते है जबकि वो सभी चाहतें तो अपनी जन्मभूमि को ही स्वर्ग बना सकते थे परन्तु उन्होने सरल मार्ग का चयन करके इसे अनदेखा कर दिया था उसी का शिक्षण यह प्रकृति सभी को अब कठोरता पूर्वक समझा रही है!

 

 

मै इस सत्य को स्वीकार करता हूँ कि सभी को अपना भरण-पोषण करने के लिए धन की आवश्यकता परन्तु उतना ही धन जितने मे कोई मनुष्य ठीक प्रकार से अपना भरण-पोषण कर सकें परन्तु आजकल लोगों की कामनायें उससे कही अधिक बढ़ गयी है! आजकल लोग मात्र धन के ही पीछे भाग रहे है उनके लिए तो धन ही सर्वोपरि हो गया है। श्रीमद् भगवद्महापुराण के द्वादश स्कन्ध मे कलियुग मे होने वाले अनेकों अनैतिक कार्यो का वर्णन किया गया है जिसमे यह भी शामिल है की जिसके पास धन है उसी का सम्मान होगा ना की किसी ज्ञानी का।

 

 

आप सभी चाहे तो अपनी जन्मभूमि को ही स्वर्गं बना सकते है परन्तु इसके लिए आपने जिस स्थानं पर जन्म लिया है आप सभी को वही रहना होगा और अपने उत्तम श्रम द्वारा ही उस स्थान का निर्माण करना होगा सभी अनावश्यक कामनाओं का त्याग करकें. स्वंय विचार कीजियेगा आप सभी की आपको क्या करना है..?

 

 

परन्तु उससे पूर्व मेरी इस बात पर ध्यान अवश्यं दीजियेगा की इस प्रकृति एवं समय से अधिक शक्तिशाली कोई नही इस कारणवश आपको जो कुछ भी करना हो अवश्य कीजियेगा परन्तु इस बात का ध्यान रखकर की आप सभी को प्रकृति के नियमों का कठोरता से पालन करना होगा क्योंकि जो कोई भी इस प्रकृति के साथ खेलने का प्रयत्न करेगा अर्थात इसके साधनों का अपने स्वार्थं के अधीन होकर दुरुपयोग करेगा तब-२ उचित समय पर यह प्रकृति अपने रौद्रं स्वरुप को अवश्यं धारण करके सभी को इसका ज्ञानं अवश्य देगी।

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं, इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।

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