Menu
blogid : 973 postid : 330

मईया को मनाने कि कोशिश-बाजारों में उमड़ी भीड़…………….!

एक छोटा विचार
एक छोटा विचार
  • 102 Posts
  • 1077 Comments

आप सभी सम्मानित आदरणीय पाठकों को मेरा सप्रेम नमस्कार तथा दिवाली और छठ की हार्दिक शुभकामनाये,त्योहारों में लीन होने के कारण मै आप लोगो के बिच उपस्थित नहीं हो पा रहा था!
दरअसल हम भारतीय इतने खुशकिस्मत हैं की त्योहरोनो के जाल में ३६५*२४*७ हमेशा फंसे या फिर ब्यस्त ही रहते हैं यानि पुरे साल,जी हाँ हम खुशकिस्मत ही तो हैं की हमें इन त्योहारों के जरिये व इन्हें मना कर आनंद कि प्राप्ति के साथ-साथ आशीर्वाद भी सजोने का एक सुनहरा मौका हमेशा हमें मिलता ही रहता है तथा साथ में सभी अपनों और दूसरों से मिलने के साथ-साथ उनके व अपने दुःख सुख को बाटने का एक महत्वपूर्ण जरिया भी हम इन त्योहारों को अपने जीवन हमेशा में मानते रहे हैं! ऐसे में ये त्यौहार/पर्व है भी इस ढंग के कि किसी भी बोर हो चुकी जिन्दगी में रस घोल देने का काम समय समय पर ये बखूबी निभा जाते हैं ……………………..लेकिन अब ये खुशकिस्मती कही न कहीं मज़बूरी का रूप लेती दिखाई सी पड़ने लगी है और इस मज़बूरी को पैदा करने में कही न कहीं इस कमर तोड़ महंगाई का जबरदस्त हाथ है जो सबके बिच अपने पांव को जमा चुकी है तथा दिन प्रतिदिन और मजबूत ही होती दिख रही है,खैर छोड़िये इस बला महगाई को………………. अब देखिये न अभी दशहरे को किसी भी तरीके से बाय-बाय किया ही था की दिवाली पटाखों के साथ हाजिर हो गयी खैर जैसे-तैसे भी संभवतः हर एक ने अपनी छामतानुसार दिवाली को भी बिदा करने में सफलता हासिल कर ही ली कि वक्त आ गया एक बार फिर से छठ मईया को दुबारा मना कर उनके आँचल के छांव में कुछ ठंठे पलों के एहसाश को पाने का,दरअसल मईया का आँचल है ही इतना शीतल कि इसके शीतलता के आगे कठोर से कठोर धुप भी फीका पड़ जाता है ……………………..क्यों नहीं यह एक सुनहरा अवसर ही तो है जब माताएं,बहने अपने अनेकों मन्नतों हेतु मईया को मनाने के लिए ब्रत रखने के साथ-साथ कमर तोड़ महगाई के बावजूद विभिन्न प्रकार के वस्तुओं को बाजार से लाकर पूजन कि थाली को सजाती हैं और अपने जीवन में एक नए सूरज के उगने का बेसब्री से इंतजार करती है………………… अब ऐसे में भला मईया अपने भक्तों के बुलावे को कैसे ठुकरा सकती हैं वो तो सिर्फ भक्तों के श्रद्धा को देख कर ही मनोकामना को पूर्ण कर देने का मन बना लेती हैं………………….अब रही भक्तों के श्रद्धा कि बात तो संभवतः हर एक भक्त इसमें कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं दीखता और अगर इसे देखना हो तो अनेकों घाटों पे जाने से पहले ही हर एक बाजारों को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ये भक्तों कि श्रद्धा ही तो है कि आज भी इस कमर तोड़ महगाई में भी हर एक बाजार व क़स्बा छठ मईया के पूजन में सामिल होने वाली वस्तुओं से सजा दिख रहा है और ऊपर से भक्तों कि भीड़ मानो हर एक भक्त चिल्ला चिल्ला कर कह रहा हो कि महगाई के बावजूद पर्व मनाने से कोई किसी को नहीं रोक सकता,आज भी श्रद्धा में लीन गरीब अमीर हर एक इन्सान अपनी छामतानुसार खरीदारी कर अपने पर्व को मनाने कि भरपूर कोसिस करता ही है!
——–एक बार फिर आप सभी लोगों को मेरे तरफ से छठ कि हार्दिक सुभकामनाएँ——–

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh