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काले धन पर नकेल

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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मोदी सरकार ने जिस तरह से देश को चौंकाते हुए बड़े नोटों के प्रचलन को बंद किया है वह काले धन के प्रवाह को रोकने और देश की अर्थव्यवस्था में काले धन की भूमिका को नियंत्रित करने वाला साबित हो सकता है. पहले विदेशों में जमा किये गए काले धन फिर देश के अंदर काले धन को बाहर निकालने की योजना के बाद यह परिवर्तन देश में काले धन के प्रवाह पर फिलहाल अंकुश लगाने का काम ही करने वाला है पर इस सबके बीच जिस तरह से आयकर सीमा में बढ़ोत्तरी और अन्य सुधारों की आवश्यकता है यदि उन्हें भी साथ ही लागू किया जाता तो इसके और भी बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं. इस मामले में मोदी सरकार की कोशिश पूरी तरह से सही कही जा सकती है पर जिस तरह से देश में शादियों का मौसम शुरू हो रहा है और उसमें जितने बड़े पैमाने पर ईमानदारी के धन के साथ काले धन का उपयोग होता है उसके चलते शादियों वाले घरों में समस्या ही उत्पन्न होने वाली है. जब देश की जनता स्वेच्छा से अपने स्तर पर ईमानदार होने की कोशिश करती नहीं दिखाई दे रही थी तो सरकार के पास इस तरह की सख्ती करने के अतिरिक्त कुछ और करने के विकल्प भी शेष नहीं रह गए थे.
काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था में देश के कुछ लाख लोगों के पास ही सब कुछ है और इससे निपटने के लिए सरकार का यह कदम इस मायने में अधिक महत्वपूर्ण है कि वह यह चाहती है कि जनता बैंकों या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लेनदेन करने की कोशिश करे जिससे देश की पूँजी का प्रवाह सही तरह से पता लग सके और काले धन का अर्थ व्यवस्था में प्रवाह नियंत्रित करते हुए आने वाले समय में पूरी तरह से रोका भी जा सके. सरकार के प्रयासों पर ऊँगली नहीं उठायी जा सकती है क्योंकि वह अपने आप में सही दिशा में उठाया गया कदम ही है और काले धन के प्रवाह को रोकने का काम केवल सरकार ही नहीं कर सकती है क्योंकि जब तक इसमें जन भागीदारी का सक्रिय योगदान नहीं होगा तब तक यह योजना भी पूरी तरह से सफल नहीं हो सकती है. देश की अर्थव्यवस्था पर लंबे समय में इसका सकारात्मक परिणाम दिखाई देने वाला है पर यह भी संभव है कि बाज़ार में काले धन के प्रवाह के रुकने के कारण आर्थिक गतिविधियों में कुछ सुस्ती भी दिखाई देने लगे पर यह अस्थायी प्रभाव ही होगा और धीरे धीरे इसमें सुधार भी दिखाई देने लगेगा.
सभी जानते हैं कि आज देश का काला धन किन जगहों पर प्रवाहित होता है देश में चुनावों में जितने बड़े पैमाने पर धन के बल पर वोटर्स को खरीदने की कोशिशें की जाती हैं और उसमें भी रोक दिखाई देने वाली है क्योंकि चुनाव आयोग की लाख कोशिशों के बाद भी इस तरह की गतिविधियों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सका है. अगले वर्ष यूपी जैसे बड़े राज्य समेत अन्य चार राज्यों में होने वाले चुनाव में काले धन के बलबूते बहुत कुछ करने के मंसूबे पाले बैठे लोगों के लिए समस्याएं ही बढ़ने वाली हैं क्योंकि अब पुराने नोटों से काम नहीं चलने वाला है और नए नोट मिलने में जो प्रक्रिया निर्धारित की गयी है उसके चलते अभी बड़ी मात्रा में काले धन का प्रवाह संभव नहीं दिखाई दे रहा है. जनता को इस मामले में थोड़े संयम से काम लेना चाहिए और बैंक तथा पोस्ट ऑफिस के बाहर अफवाहों के चलते भीड़ लगाने से बचना भी चाहिए. इस एक कदम से सरकार ने दो काम कर लिए हैं पहले यह कि काले धन के खिलाफ कार्यवाही लोगों को दिखाई भी देने लगी है वहीं पूँजी की कमी का रोना रो रहे बैंक्स के पास इन बड़े नोटों के रूप में ३० दिसंबर तक जो धनराशि जमा हो जाएगी सरकार के पास उसे अपनी सुविधा के अनुसार वापस करने का विकल्प खुला हुआ है जिससे बैंकों में एकदम से आम लोगों की तरफ से पूँजी का प्रवाह बढ़कर आज व्याप्त पूँजी संकट को कम करने का काम भी करने वाला होगा. जनता को धैर्य से काम लेना चाहिए और देशहित में सरकार के साथ पूरा सहयोग भी करना चाहिए.

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