Menu
blogid : 488 postid : 836467

किरण बेदी और राजनीति

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

दिल्ली की राजनीति में किसी भी तरह से आप और अरविन्द केजरीवाल को पटकनी देने की कोशिशों में लगी हुई मोदी-शाह की टीम और भाजपा ने स्वच्छ छवि वाली ईमानदार पुलिस अधिकारी रही किरण बेदी को भाजपा में शामिल कर के बड़ा दांव चल दिया है. अभी तक दिल्ली भाजपा में जिस तरह से आप और भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच आरोप प्रत्यारोपों की कोई सीमा नहीं थी तो किरण बेदी के भाजपाई खेमे में जाने के बाद उनके बारे में कुछ भी कहने से आप को किसी भी तरह का राजनीतिक लाभ मिलने की सम्भावना कम ही है और साथ में यह भी संभव है कि यदि किरण बेदी को चुनावों में भाजपा द्वारा महत्वपूर्ण कमान सौंपी जाती है तो उनकी कड़क छवि को देखते हुए भाजपा की बेलगाम बयानबाज़ी पर भी रोक लगने की संभावनाएं बन गयी हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन के समय एक दूसरे के सहयोगी रहे अरविन्द और किरण किस तरह से एक दूसरे के खिलाफ राजनैतिक हमले करते हैं यह भी देश में भविष्य की राजनीति का निर्धारण करने में सहायक हो सकता है क्योंकि दोनों ही देश की सरकारी सेवाओं से निकले हुए लोग हैं और उनकी ईमानदारी पर किसी को भी संदेह कभी भी नहीं रहा है.
देश के किसी भी नागरिक को अपने हिसाब से अपने राजनैतिक मंच को चुनने की पूरी आज़ादी है तो अब जो भी लोग किरण बेदी के भाजपा में जाने को लेकर हमलावर हो रहे हैं उसका कोई मतलब नहीं बनता है क्योंकि यदि वे उनकी पार्टी में आती तो अन्य दलों के लोग भी इसी तरह की हरकतें करने से बाज़ नहीं आते. देश में राजनीति का स्वरुप ही इतना बिगड़ चुका है कि उसके सुधरने की कोई संभावनाएं भी नहीं दिखाई दे रही हैं क्योंकि किसी भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा इस तरह की फालतू बयानबाज़ी को रोकने के लिए कोई कड़े कदम कभी भी नहीं उठाये जाते हैं और बड़बोले नेताओं को जिस तरह से पदोन्नति मिलती चली जाती है वह भी अन्य लोगों के लिए ख़राब उदाहरण से अधिक कुछ भी नहीं होती है. देश, समाज और राष्ट्र के लिए काम करने की कसमें खाने वाली पार्टियां किस तरह से इस तरह की बातों से खुद को अलग कर लेती हैं यह भी चिंता का विषय ही है. शशि थरूर जैसे नेताओं की देश में बहुत कमी है जो दिल से किसी भी सही बात को सही कहने से नहीं चूकते हैं भले ही वह विपक्षी दल के लिए ही कहना हो. कांग्रेस में होते हुए भी उनका किरण बेदी का भाजपा में जाने महिलाओं के लिए अच्छा कहना दुर्लभ बयानों में से ही है.
अब किरण बेदी के लिए खुद को राजनैतिक जीवन में स्थापित करने की बड़ी चुनौती सामने आने वाली है क्योंकि उनका स्वभाव जिस तरह से है उसमें वे किसी भी तरह के व्यक्तिगत हमलों के स्थान पर नीतियों के साथ खड़े होना पसंद करती हैं जबकि भाजपा में आज सशक्त मोदी की नीतियों और नियमों का जितने बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया जा रहा है वह अभी तक देखने को नहीं मिला था. दिल्ली चुनावों में भाजपा पिछली बार ही सरकार बना लेने की स्थिति में पहुँच सकती थी पर उसके गुटीय संघर्ष और एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिशों में लगे हुए नेताओं के कारण कांग्रेस के खिलाफ माहौल को भुनाने में आप उससे आगे निकल गयी थी. किरण बेदी जिस तरह से लोकसभा चुनावों के पूर्व से ही मोदी के पक्ष में ट्वीट करने में लगी हुई थीं उससे उनके राजनैतिक झुकाव के बारे में संकेत मिलने शुरू हो चुके थे और अब वे खुले तौर पर भाजपा में शामिल हैं तो दिल्ली भाजपा के वे दिग्गज जिन्हें मोदी के नेतृत्व के कारण सीएम की कुर्सी दिखाई दे रही है अब वे क्या कदम उठाते हैं यह भी सामने आ जायेगा. इसी खतरे को भांपते हुए शाह ने सीएम का मुद्दा भाजपा संसदीय बोर्ड पर छोड़ने की बात कई बार दोहराई जिससे पता चलता है कि किरण बेदी को अधिक भाव देने पर इसका उल्टा असर भी हो सकता है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh