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चर्चित हस्तियां ब्रांड एम्बैसडर

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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देश की राजनीति में जिस तरह से नेताओं को कुछ भी कह देने की आदत बनती जा रही है उससे कहीं भी देश का भला नहीं होता बल्कि समाज के साथ विश्व पटल पर भी देश की नकारात्मक छवि ही बनती दिखाई देती है. ताज़ा मामले में जिस तरह से नवगठित तेलांगना में टेनिस खिलाडी सानिया मिर्ज़ा को अपना ब्रांड अम्बेसडर नियुक्त किये जाने को लेकर बयानबाज़ी हुई उसका कोई मतलब नहीं बनता था. भाजपा के साथ स्थानीय कारकों के चलते कांग्रेस के नेताओं ने भी इस नियुक्ति का विरोध किया और कहा कि सानिया हैदराबाद की मुल निवासी भी नहीं हैं जिसके बाद खुद सानिया और उनके पूरे परिवार ने सामने आते हुए अपने शताब्दी पुराने हैदराबाद के संबंधों को स्पष्ट किया. वैसे देखा जाये तो देश के किसी भी राज्य या संस्थान को संविधान से इस तरह की नियुक्ति के लिए पूरी छूट मिली हुई है और जब तक इसमें कोई परिवर्तन (जिसकी सम्भावना नहीं है) नहीं किया जाता है तब तक देश के किसी भी नागरिक को इसका अधिकार प्राप्त है.
राज्यों के विकास और प्रचार के लिए विभिन्न सरकारें अपने स्तर से इस तरह की नियुक्ति किया करती हैं यदि राज्य का निवासी होना कोई आधार होता तो अमिताभ बच्चन क्या गुजरात के लिए यह काम वर्षों तक कर सकते थे ? इस तरह की घटिया मानसिकता से बाहर निकलना ही चाहिए और सानिया के पाकिस्तानी पति को लेकर भी अनावश्यक विवाद उत्पन्न किया जा रहा है जबकि सभी जानते हैं कि पाक से सानिया का रिश्ता केवल कहने भर का ही है और वे अपने खेल के चलते अभी तक पाक में रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती हैं. नागरिकता और राष्ट्रीयता के सम्बन्ध में विवाद बनाये रखने से किसी को क्या हासिल होने वाला है यह तो वो ही जाने पर इस तरह की बयानबाज़ी से केंद्र सरकार के लिए अनावश्यक रूप से काम बढ़ जाता है क्योंकि जब तक उसकी तरफ से अपनी पार्टी के नेताओं को लेकर इस तरह की सफाई सामने नहीं आती और वह अपने को इन बयानों से अलग नहीं करती है तब तक उस पर हमले जारी रहते हैं.
भाजपा को भी अपने राज्य स्तरीय नेताओं को इस तरह के बयानों से रोकना चाहिए क्योंकि इस तरह की अतिवादी बातें करने में उसके नेता बहुत आगे रहा करते हैं. यदि पिछले चुनावों से देखा जाये तो पूरे देश में जहाँ कहीं भी भाजपा को इन बयानों से लाभ मिलने की उम्मीद थी वहां पर उसने खुले आम तो इन बयानों की निंदा की पर अपने नेताओं को रोकने के लिए कभी भी कुछ नहीं कहा तो यह उसकी एक रणनीति भी हो सकती है कि समाज में अपनी इस तरह की बात कह भी दी जाये और उससे पल्ला भी झाड़ लिया जाये ? नेता चाहे जिस भी दल के हों उन्हें इस बात पर विचार करना ही होगा कि आने वाले समय में जब खुद पीएम मोदी देश को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं तो उनकी पार्टी ही आखिर इस तरह का व्यवहार क्यों करना चाहती है ? इन ब्रांड अम्बेसडरों को बनाने में कोई आपत्ति नहीं है पर साथ ही इनको किसी भी तरह का भुगतान आखिर क्यों किया जाये इस बात का जवाब दोनों पक्षों को देना ही होगा क्योंकि क्या ये बड़े सितारे अपने राज्य या देश के विकास और प्रचार के लिए कुछ काम बिना पैसों के लिए नहीं कर सकते हैं ?

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