Menu
blogid : 488 postid : 1385376

नीरव मोदी – नीयत से नियति तक

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

पीएनबी की तरफ से किये गए एक खुलासे के बाद जिस तरह से २०१४ में भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रचंड लहर पर सवार होकर सत्ता में आने वाली मोदी सरकार के लिए नीरव मोदी प्रकरण ने कई बड़े प्रश्नचिन्ह लगाने का काम कर दिया है यह सही है कि मोदी के पूर्ववर्ती पीएम मनमोहन पर भी कभी व्यक्तिगत स्तर पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा था पर भाजपा जनता में यह सन्देश भेज पाने में पूरी तरह से सफल हो गयी थी कि पूरी यूपीए सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. भरष्टचार को लेकर विपक्षी दलों पर निर्मम हमले कर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने की पीएम मोदी की हर कोशिश अभी तक लगभग सफल होती ही आयी है पर इस वर्ष के कई राज्यों के विधानसभा चुनावों और अगले वर्ष के आम चुनावों से पहले मोदी के आभा मंडल को दूषित करने वाली ये घटनाएं मतदाताओं को काफी हद तक प्रभावित कर सकती हैं इस समभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. कोई भी आसानी से यह आरोप नहीं लगा सकता कि नीरव मोदी, गिन्नी, गीतांजलि जैसी बड़ी कंपनियों से सीधे पीएम मोदी ने कोई लाभ लिया होगा और न ही इस पर कोई विश्वास भी करेगा पर यह मामला उसी तरह का हो सकता है जैसा की २जी और अन्य मामलों में हुआ जिससे सरकार की देश और विदेश में छवि को बहुत बड़ा धक्का लग सकता है.
पूरे प्रकरण में सबसे दुर्भाग्य पूर्ण यह है कि जब वित्तीय मामलों में अनियमितता का मामला सामने आया तो उससे निपटने कि लिए रक्षा मंत्री का बयान क्यों सामने आ रहा है ? इस मामले पर यदि वित्त मंत्री स्थितियों को स्पष्ट करें तो उनकी बात को गंभीरता से सुना जायेगा पर संभवतः आज भी भाजपा यह स्वीकार नहीं कर पा रही है कि वह २०१४ से सत्ता में है और निर्मला सीतारमण और रविशंकर प्रसाद जैसे नेता अब उनके प्रवक्ता नहीं बल्कि सरकार के ज़िम्मेदार मंत्री हैं ? चिंता की बात यह भी है कि रवि शंकर प्रसाद के अनुसार यह मामला २०११ से था तो २०१४ के बाद सरकार ने क्या किया और यदि इसका खुलासा पिछले वर्ष जुलाई में हो गया था तो नीरव मोदी जैसा व्यक्ति एक आरोप के अनुसार आखिर विदेश में पीएम मोदी के साथ मंच पर कैसे खड़ा हो सकता था ? क्या इस मामले में पीएमओ ने विदेश मंत्रालय और अपने मंत्रालय के लिस्ट बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की है ? हो सकता है कि पीएम मोदी को यह न पता हो पर जब वे खुद को चौकन्नी नज़रों वाला बताते हैं और उनके पीएमओ द्वारा इस मामले को संज्ञान में लिया जा चुका था तो लगाए जाने वाले अपुष्ट आरोपों के अनुसार नीरव दावोस में पीएम के बगल तक कैसे पहुँच गया इस बात को लेकर पीएम मोदी पर संदेह जताया जा सकता है ? बेशक यह अधिकारियों की लापरवाही ही हो पर पीएम मोदी की छवि पर छींटे पड़ने शुरू हो चुके हैं देश को यह भी देखना होगा कि ३० साल बाद बनी पूर्ण बहुमत की सरकार पर भी राजीव गाँधी की मिस्टर क्लीन जैसी छवि वाले मोदी की छवि को धूमिल किये जाने का बहाना मिलना शुरू हो चुका है. भ्रष्टाचार पर मुखर रहने वाले पीएम मोदी के खिलाफ इतना बड़ा मुद्दा विपक्ष भी नहीं छोड़ना चाहेगा जिससे इस मामले में बैंक के कुछ लोगों पर कार्यवाही करके इसे ठंडा किये जाने की कोशिशें शुरू की जायेंगीं.
देश को अपने पीएम से सही और सीधा जवाब ठोस कार्यवाही के रूप में चाहिए उसे दलगत राजनीति से कोई मतलब नहीं है देश की आम जनता का यह पैसा जो हर्षद मेहता से लगाकर नीरव मोदी जैसे लोग आसानी से हड़पने को तैयार बैठे हैं इनसे निपटने के लिए अब सरकार के पास क्या प्लान हैं ? क्या ये बड़े लुटेरे नाम बदलकर इसी तरह देश के सत्ता प्रतिष्ठान से अपनी नज़दीकियों का लाभ उठाकर बैंको को लूटते रहेंगें और देश की सत्ता में बैठी कोई भी सरकार कड़े कदम उठाने जैसे चिर परिचित पुराने झांसे से जनता को बरगलाने का काम करती रहेंगीं ? फिलहाल देश को खुद पीएम मोदी की तरफ से इस मामले पर जवाब की आशा है और संसद में विपक्ष भी इस मामले पर सरकार को कोई राहत देने की स्थिति में नहीं होगा जिससे आने वाले समय में मोदी सरकार की समस्याएं बढ़ने ही वाली हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh