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पाक फिर उसी राह पर

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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इस वर्ष जनवरी माह से जिस तरह से पाक ने अपनी तरफ़ से सीमा पर २००३ से लागू किए गए द्विपक्षीय संघर्ष विराम का अकारण ही उल्लंघन करना शुरू कर दिया है उससे यही लगता है कि अब उसे और पाक सेना को सीमा पर इस तरह की शांति अच्छी नहीं लग रही है ? २००३ से जिस तरह से दोनों पक्षों ने अधिकांशतः इस समझौते का पालन ही किया था उससे सीमा पर अनावश्यक तनाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिली थी पर आज जिस तरह से उसके तेवर एक बार फिर से उसी तरह से आक्रामक होते जा रहे हैं उससे यही लगता है कि नवाज़ शरीफ़ को सेना अपने लिए कोई चुनौती नहीं मानती है और जब से उनके सत्ता में आने की सुगबुगाहट शुरू हुई थी तभी से सेना ने सीमा पर अपनी गतिविधियाँ बढानी शुरू कर दी थीं. अब जब भारत सरकार की तरफ़ से सेना को हर छोटे बड़े हमले उचित और करार जवाब देने की छूट मिल गयी है तो उसके तेवर खुले तौर पर इससे बचने वाले हो गए हैं और अब वह अपने विशेष दस्तों जिनमें सैनिक और आतंकी समूह दोनों ही शामिल हैं उनकी गतिविधियाँ बढाने में लगा हुआ है.
भारतीय सेना को मिली सूचनाओं के अनुसार पाक अब इस फिराक़ में है कि अब वह किसी तरह से पहली जैसी आतंकी घुसपैठ को सफल बनाकर कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में गड़बड़ी करते रहने के अपने मंसूबे को सफल करता चले पर जिस तरह से अब कश्मीर की सीमा पर भारतीय सुरक्षा बल चौकस और सक्रिय हुए हैं और पाक की नापाक हरकतों को हर स्तर पर मुंहतोड़ जवाब देने की स्थिति में हैं उससे भी पाक किसी बड़े हमले से पहले सौ बार सोचने को विवश है क्योंकि उसकी सेना आतंकियों के सहयोग से ही भारतीय सीमा की रखवाली किया करती है. भारत की तरफ़ से उसे कोई बड़ा ख़तरा तब तक नहीं जब तक उनकी तरफ़ से ही कोई बड़ी सामरिक भूल न की जाए ? अब जिस तरह से भारतीय पक्ष ने पाक को कड़े संदेश देने शुरू कर दिए हैं तो अब वह केवल उन स्थानों पर ही समझौते का उल्लंघन कर रहा है जहाँ वह मज़बूत स्थिति में है और परिस्थितियों का लाभ उठाकर आतंकियों को सीमा पार कराने की कोशिशें अपने कम से कम नुकसान के साथ कर सकता है.
लम्बे समय बाद भारतीय सेना के किसी अधिकारी द्वारा कश्मीर में की इस तरह से पहली पत्रकार वार्ता में जितनी आक्रामकता की बात की गयी है उससे पाक को यह तो पता चल ही गया होगा कि इस बार दिल्ली से उन्हें कुछ भी नहीं पूछना है क्योंकि भारतीय सेना सरकार और देश के लिए जवाबदेह और अनुशासित सेना है जबकि पाक में सेना अपनी मनमर्ज़ी से पूरी शासन व्यवस्था को चलाती रहती है ? भारतीय पक्ष के इस तरह से कड़े रुख को देखने के बाद अब पाक में बैठे आतंकियों के सरगनाओं और अन्य लोगों में भी इस बात का संदेश जा ही चुका है कि अब किसी भी दुस्साहस का कड़ा जवाब मिल सकता है जिससे अब सीमा पर पाक केवल आतंकियों को ही सक्रिय करके रखेगा जिससे वह किसी भी तरह की घुसपैठ को कश्मीर से जोड़ सके और अपनी सेना को पाक साफ़ साबित कर सके पर जिस तरह से उसका आतंकियों के साथ पूरा गठजोड़ है वह किसी से भी छिपा नहीं है. पाक किसी का नहीं हुआ है और अपना काम निकल जाने के बाद किस तरह से वह लोगों को उनके हाल पर छोड़ देता है यह करीम टुंडा की गिरफ़्तारी से साबित हो चुका है. फिलहाल अब भारतीय सेना पूरी तरह से हर छोटे बड़े हमले को नाकाम करने को तैयार है जो कि पाक के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

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