Menu
blogid : 488 postid : 1144825

सरकारी रोक और पलायन

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
  • 2165 Posts
  • 790 Comments

अपने कर्ज़ों को न चुकाने के कारण देश और पूरी दुनिया में बदनाम हो रहे उद्योगपति और राज्यसभा से निर्दलीय सांसद विजय माल्या के बारे में केंद्र सरकार ने जिस तरह से शंका के साथ यह कहा कि ऐसा लगता है कि वे फिलहाल देश से बाहर लन्दन में किसी स्थान पर हैं उसे यही लगता है कि हमारे देश में सरकार के नियंत्रण में चलने वाली एजेंसियां किस हद तक बंधनों में जकड़ी हुई है और उनके काम काज में अनावश्यक तेज़ी तभी दिखाई देती है जब उन्हें सरकार के लोगों के निजी हितों को साधने का काम करना होता है. इस बात से इन एजेंसियों पर कोई अंतर नहीं पड़ता है कि उनके आका के रूप में कौन सा दल सरकार चला रहा है क्योंकि सीबीआई के मामले में पहले ही सुप्रीम कोर्ट उसे पिंजरे का तोता कह चुकी है और दुर्भाग्य से आज भाजपा भी कांग्रेस की तरह उसी कटघरे में खड़ी दिखाई देती है जिसके लिए कभी वह कांग्रेस की आलोचना किया करती थी. कोई भी सरकार भले ही कुछ भी कहती रहे पर जिस तरह से नेताओं के अनुरूप देश की एजेंसियों का कामकाज रहता है वह इनको कहीं न कहीं से बहुत कमज़ोर भी करता है.
विजय माल्या का मामला तो सभी की जानकारी में था और उनके लिए जिस तरह से देश न छोड़ने की पेशबंदी की जा रही थी उससे यही लग रहा था कि संभवतः वे देश के कानून का सामना करने के लिए एजेंसियों के चंगुल में आ जाएँ पर इतने ऊंचे स्तर पर जाने जाने वाले एक व्यक्ति ने आखिर किस तरह से देश छोड़ दिया और देश की एजेंसियां और सरकार कुछ भी जान नहीं पायीं उससे कहीं न कहीं संदेह और भी मज़बूत होता है कि सरकारी एजेंसियों को उनके देश से बाहर जाने की पूरी खबर भी थी. आज वे जिस तरह से आर्थिक अनियमितता के आरोपी बने हुए हैं तो उनको देश के अंदर रहकर कानून का सम्मान करना चाहिए था पर उन्होंने भी ललित मोदी की तरह देश से भागने में ही अपनी भलाई समझी और आज सरकार के सामने शर्मिंदा होने के अतिरिक्त कोई अन्य चारा भी नहीं रह गया है. इससे यही लगता है कि देश के अंदर कहीं न कहीं राजनेताओं और उद्योगपतियों का कोई गठजोड़ अवश्य ही काम कर रहा है जिसको तोड़ पाने में कोई भी नेता अपने निहित स्वार्थों के चलते सफल नहीं हो सकता है.
इस तरह के किसी भी व्यक्ति को आखिर किस हद तक अनियमितता करने की छूट दी जा सकती है अब यह सोचने का समय आ गया है क्योंकि इस मामले में मोदी और उनकी सरकार पर हमले होने स्वाभाविक हैं पर इन हमलों से भी मामले का हल नहीं निकल सकता है. देश की दिन प्रतिदिन पंगु होती जा रही संसद को अब इस तरह के मामलों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने के बारे में सोचना ही होगा क्योंकि जब तक राजनैतिक इच्छाशक्ति को अपने हितों को पीछे रखते हुए मज़बूत नहीं किया जायेगा तब तक इसी तरह से कभी आतंकी संगठनों से जुड़े व्यक्ति या कभी आर्थिक मामलों में कानून का सामना करने से बचने की कोशिशें करने वाले लोग देश से भागने में सफल होते रहने वाले हैं. इसे देश की समस्या के रूप में देखने की आवश्यकता है क्योंकि यदि इसे भी दलगत राजनीति से देखने की कोशिशें की जाती रहेंगीं तो मामला और भी उलझता जायेगा और हमारी एजेंसियों के साथ सरकार को भी समय समय पर नीचे देखने को मजबूर होना पड़ेगा. इस तरह की भगोड़ी राजनीति का लगभग हर दल द्वारा समर्थन किया जाता है और अब इससे पूरी तरह से बचने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता सामने अ गयी है और सरकार को संसद में इस मसले पर पहल करनी ही होगी.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh