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सुविधाजनक रेलयात्रा

***.......सीधी खरी बात.......***
***.......सीधी खरी बात.......***
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लम्बे समय से रेल मंत्रालय जिस तरह से यात्रियों की सुविधाओं के लिए प्रयत्नशील रहने की कोशिश करता रहता है अब उस कड़ी में नए बने नियम के अंतर्गत वेट लिस्ट टिकट लिये हुए किसी भी यात्री को बिना टिकट ही माना जायेगा और इस नियम का उल्लंघन करते हुए पाये जाने पर उनसे जुर्माना भी वसूला जायेगा. अभी तक यह देखने में आता था कि विभिन्न श्रेणियों में वेटलिस्ट टिकट के साथ यात्रा करने वालों के कारण कन्फर्म टिकट वालों को भी बड़े स्तर पर समझौता करना पड़ता था जिसे उनकी यात्रा में कई बार बहुत समस्याएं भी सामने आती थीं. आमतौर पर आरक्षित श्रेणी में यात्रा करने का उद्देश्य ही सुरक्षित और आरामदायक यात्रा होता है पर जिस तरह से वेटलिस्ट टिकट के साथ यात्रा कर रहे यात्रियों के साथ रेलवे की तरफ से कोई सख्ती नहीं की जाती थी उस परिस्थिति में इन आरक्षित डिब्बों की हालत कई बार सामन्य श्रेणी के डिब्ब्बों से भी बुरी हो जाती है जिससे निपटने का रेलवे के पास कोई समुचित उपाय अभी भी नहीं है. अब इस नए नियम के कारण जहाँ रेलवे को इस तरह से यात्रा करने वाले यात्रियों पर कार्यवाही करने का अधिकार मिल गया है वहीं अन्य यात्रियों की यात्रा भी आसान होने की सम्भावना बढ़ गयी है.
यह बिलकुल सही है कि देश की आबादी को देखते हुए रेलवे यात्रियों की आवश्यकताओं पर पूरी तरह से खरी नहीं उतर पाती है क्योंकि जिन भी संसाधनों की व्यवस्था रेलवे करता है वे यात्रियों की भारी भीड़ के चलते कम ही नज़र आते हैं. इस बारे में विचार करते हुए रेलवे को अब अपने महत्वपूर्ण स्टेशनों पर अतिरिक्त डिब्बों की व्यवस्था के बारे में सोचना ही होगा जिनको आवश्यकता पड़ने पर विभिन्न गाड़ियों में आसानी से लगाया जा सके और यात्रियों की वेटलिस्ट को भी कम करने में मदद मिल सके. एक सीमित संख्या तक वेटलिस्ट टिकटों को जारी करने के लिए कठोर नियम बनाया जाना चाहिए क्योंकि आज जितनी बड़ी संख्या में यात्रियों को वेटलिस्ट टिकट थमाए जाते हैं उससे उनको भी आशा बनी रहती है कि संभवतः टिकट कन्फर्म ही हो जाये. इसके चलते भी बड़ी संख्या में लोगों की तरफ से वेटलिस्ट टिकट बनवाए जाते हैं जिस पर अब लगाम लगाये जाने की आवश्यकता है. रेलवे के विभिन्न कोटों की पूर्ति के बाद जो अधिकतम सीट्स बचती हैं रेलवे को केवल उनके लिए ही सीमित संख्या में वेटलिस्ट टिकट देने चाहिए क्योंकि तभी पूरी व्यवस्था को सही किया जा सकता है वर्ना इस अव्यवस्था के चलते सचल दल के लिए भी काफी मुसीबतें सामने आती हैं.
रेलवे को नए नियम बनाने के स्थान पर किसी भी तरह से अतिरिक्त कोचों और रैक्स की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि जब तक आवश्यकता और उपलब्धता में सही तरह का सामंजस्य नहीं होगा तब तक इस स्थिति से सही तरह से नहीं निपटा जा सकता है. इससे निपटने के लिए सबसे अच्छी व्यवस्था यह हो सकती है कि इन वेटलिस्ट टिकट वालों के लिए हर ट्रैन में आवश्यकता पड़ने पर एक कुर्सीयान लगाने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि इस व्यवस्था से जहाँ अधिकतम लोगों की यात्रा को सुनिश्चित किया जा सकता है वहीं रेलवे को भी इसका लाभ मिल सकता है. यह विकल्प केवल उन लोगों पर ही अपनाया जाना चाहिए जो आरक्षण करते समय ही इस विकल्प को चुन रहे हैं जिससे रेलवे को भी समय रहते यह पता चल सके कि उसे कितने लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में कुर्सीयान की व्यवस्था करनी है. इस नयी दिशा में सोचकर जहाँ रेलवे की आय भी बढ़ाई जा सकती है वहीं यात्रियों की यात्रा को भी सुखद बनाया जा सकता है. निश्चित तौर पर रेलवे के प्रयास सराहनीय हैं पर उन्हें यात्रियों के लिए और भी सरल बनाने की आवश्यकता है जिससे दोनों पक्षों को इसका सही लाभ मिल सके.

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