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जातिवाद की असलियत

सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
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क्या सनातन(हिन्दू) धर्म मेँ जातिवाद है?
कुछ लोग सनातन धर्म पर आरोप मढते हैँ कि इस धर्म मेँ जातिवाद फैला हुआ है इसीकारण हिन्दुओँ ने धर्म परिवर्तन करना शुरु कर दिया है। इस तथ्य मेँ कितनी सच्चाई हैँ आप स्वयं जान ले।
क्या कोई भी व्यक्ति ये सिद्ध कर सकता है कि सनातन धर्म जातिवादी है? नही ! क्योँकि ये सत्य है ही नही । मैँ आपको बताता हूँ सत्य क्या है।
अगर सनातन धर्म मेँ जातिवाद होता तो क्षत्रिय कुल मेँ जन्मे राम और यादव कुल मेँ जन्मे कृष्ण की पूजा नही होती ।
अगर सनातन धर्म मेँ जातिवाद होता तो क्षत्रिय कुल मेँ जन्मे विश्वामित्र ब्रह्मर्षि नही कहलाते ।
हिन्दुओँ का धर्म परिवर्तन जातिवाद या छुआछूत की वजह से नही हो रहा इसको तो एक बहाना मात्र बनाया जा रहा है । 80% धर्म परिवर्तन डर के कारण हुआ है और 20% लालच मेँ।
जातियाँ किस धर्म मेँ नही हैँ।
क्या इस्लाम मेँ जातियाँ नही है? अगर नही हैँ तो सिया और सुन्नी के बीच होने वाली जातीय हिँसा क्या है? सिया मुस्लिमोँ की मस्जिद अलग सुन्नी की अलग और अहमदिया मस्जिद अलग क्योँ है? एकेश्वरवादी इन लोगोँ का ईश्वर अलग अलग है क्या?
क्या इसाई धर्म मेँ जातियाँ नही हैँ अगर नही हैँ तो कैथोलिक, प्रोटैस्टैंट, आर्थोडोक्स, मॉरोनी, एवनजीलक आदि क्या है ? इनके चर्च अलग अलग क्योँ हैँ ? इनमेँ भी आपस मेँ खूब हिँसा होती रहती है।
अब बात करते हैँ सनातन(हिन्दू) धर्म की । सनातन मेँ सिर्फ चार वर्ण हैँ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र!
वर्णो मेँ बाँटने का एक मात्र उद्देश्य अपने कर्म के प्रति समर्पित होना था ! हिन्दू धर्म मेँ हजारोँ जातियाँ होने बावजूद एक ही मन्दिर मेँ सभी पूजा अर्चना करते हैँ । हिन्दुओँ की आपस मेँ कभी कोई भी हिँसा कभी हुयी क्या ?
अब ये फैसला आपको करना है कि किस धर्म मेँ जातिवाद घुला हुआ है और किस मेँ मानवता ?
जय हिन्द! जय भारत!

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