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FDI (Fir Dubega India)

सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
सौरभ द्विवेदी "स्वप्नप्रेमी"
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F D I (Fir Dubega India) के नाम पर आजकल खूब हो हल्ला हो रहा है ।
यूपीए सरकार हर हालत मेँ इसको देश मेँ लाना चाहती है और विपक्ष हर हाल मेँ इसे रोँकना चाहता है। हालाकि कुछ सत्ता समर्थक दल भी इसका विरोध कर रहे हैँ लेकिन संसद मेँ वोटिँग न करके उन्होने भी FDI आने का मार्ग प्रशस्त किया है।
सत्ता पक्ष इसके लाभ गिना रहा है तो विपक्ष इसकी हानियाँ। लेकिन दोनो ही पक्ष इस मुद्दे पर अपनी अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैँ देशहित से किसी को कोई मतलब नही है। हाँ विपक्ष की बात मेँ जरुर कुछ देशभक्ति नजर आती है लेकिन उनका भी स्वार्थ जरुर है।
देश की 95% जनता चाहती है कि ये देश मेँ न आये क्योकि इसके आने से उन्हे नही लगता कुछ लाभ होने वाला है । हो सकता है कि देश के खजाने मेँ कुछ लाभ हो लेकिन छोटे कामगार उद्योगी रेडी वाले छोटे दुकानदार जो लगभग 70% जनता है उसकी तो रोटी ही छिन जायेगी।
अगर आप इसको वोटिँग के जरिये ही लाना चाहते हैँ तो संसद मेँ नही देश की सम्पूर्ण जनता की राय लीजिये । आगे आने वाले लोकसभा चुनाव मेँ इसके लिये भी वोटिँग करा लो हकीकत सामने आ जायेगी।
2002 मेँ जब बाजयेयी सरकार इसे ला रही थी तब मनमोहन सिँह ने कहा था कि अगर इसको लाया गया तो देश की जनता भूखोँ मर जायेगी और देश एक बार फिर गुलाम हो जायेगा। आज वही मनमोहन प्रधानमन्त्री हैँ तो इसे लाना चाहते हैँ।
बाजपेयी एक समझदार व्यक्ति थे इसलिये आज FDI देश मेँ नही है लेकिन ये मनमोहन सिँह जी दूसरोँ के इशारे पर चलने वाले व्यक्ति हैँ अब शायद FDI देश मेँ आके रहेगा क्योकि उसने एक मोटी रकम भारत मेँ भेज दी है।
कुछ विद्वान इसकी तुलना ईस्ट इंडिया कम्पनी से भी कर रहे हैँ।
इसको जब अमेरिका जैसा विकसित देश नही झेल पाया तो हमारे जैसे विकासशील देश की क्या बिसात।
कुछ भी हो इसके आने से भारत की जनता को नुकसान ही होना है।
डा. सौरभ द्विवेदी “स्वप्नप्रेमी”

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