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और मुनियाँ रो पड़ी

chalte chalte
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मुनिया बहुत सहमी हुई थी
उसका बाप घर आ गया था
आज भी वो पीकर आया था
आज भी वो माँ को मारेगा
आज भी वो बर्तन तोड़ेगा
रोज़ ऐसा ही होता है
मुनियाँ का दिल रोता है.

ऐसा नहीं है कि उसका बाप
दिल का बुरा है
वो अपने बच्चों से
बहुत प्यार करता है
मगर ये दारु……..

रात आधी हो चुकी थी
मुनियाँ सो चुकी थी
जब तक वो जगी थी
उसका बाप लौटा नहीं था.
यकायक मुनियाँ जाग गयी
वो बुरी तरह डर गयी
उसका बाप उसके पास बैठा था
उसके मुंह से दारु की बास आ रही थी.

मुनियाँ अपने आप में सिमट गयी
जब उसके बाप ने उसके सर को छुआ
‘तुम्हारा बाप बहुत बुरा है,बेटा!’
उसके बाप ने कहा-
‘वो दारू पीता है,
तुम्हारी माँ को मारता है,
घर के बर्तन तोड़ता है,
बहुत बुरा है,तुम्हारा बाप’.
उसके बाप का गला भर जाता है-
‘मैं तुम्हें स्कूल भेजता हूँ,
दिन भर काम की खोज में
इधर-उधर भटकता हूँ
कभी कोई काम मिल जाता है
कभी नहीं मिलता,
तुम्हारी फी भरनी है.
दादी के दमे का इलाज कराना है,
तुम्हारी माँ रोज ताना मारती है,
कहती है मैं आलसी हूँ,कामचोर हूँ,
मैं तुमलोगों की परवाह नहीं करता,
मैं तुमलोगों से प्यार नहीं करता,
ये मुझसे सहा नहीं जाता,
इसलिए मैं पी लेता हूँ,
कुछ पल सपनो में जी लेता हूँ,
मैं अपनी मज़बूरी, अपनी गरीबी
भूल जाता हूँ,
और
अपनी इंसानियत भी भूल जाता हूँ
मैं तुम्हें पढाना चाहता हूँ
खूब पढाना चाहता हूँ,
पर क्या करूँ
समझ नहीं आता.

तुम मुझे बहुत बुरा समझती होगी
पर
मैं तुम सबसे
बहुत प्यार करता हूँ’.
मुनियाँ का बाप
फूट-फूटकर रो उठा’
मुनिया अपने बाप से लिपट गयी,
उसके सीने में सिमट गयी,
भरे गले से बोली-
‘बापू तुम बहुत अच्छे हो,
सब ठीक हो जायेगा,
तुम दिल छोटा मत करो
सब ठीक हो जायेगा,
मत रोओ बापू,
और
मुनियाँ खुद फफक-फफककर
रो पड़ी.

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