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नया ज़माना

chalte chalte
chalte chalte
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नए ज़माने की नयी फसल
घिसी,फटी जींस में दिखाते मसल
संस्कृति,सादगी से बेपरवाह
पढ़ाई-लिखाई में हमेशा लापरवाह…….
वाह! क्या ज़माना आया है
ना जाने किस अंग्रेजी भूत का साया है
माँ ने ममी का कफ़न ओढ़ लिया
पिता डेड होकर शरमाया है…………..
होठों की सुन्दरता सिगरेट से बढ़ी
पॉकेट में गुटखे की पैकेट पड़ी
हर कोई दिखाता मोबाईल है
वाह! क्या नया स्टाइल है…………….
क्या यही आधुनिकता का फ़साना है
अपनी संस्कृति को धूएँ में उड़ाना है?
लड़के तो लड़के ठहरे
हर नसीहत पर बन जाते बहरे
लड़कियां भी पीछे कहाँ हैं
इनका भी अपना एक जहाँ है
टी वी सीरियल की गहरी छाप है
रोका रोकी इनके लिए संताप है………….
हर नए फैशन की दीवानी
लड़कियां खुद कहती अपनी कहानी
जो वस्त्र परंपरा को तोड़े
वही इनके मन को जोड़े
लड़कों से लेती हैं होड़
कहती अपने को बेजोड़…………..
एक सपना-सा पलता है असंभव
ख्वाहिशों के बादल, सामने फैला नभ.
न जाने हवा का झोंका
ले जाये बहा कर इन्हें कहाँ
हर हक़ीकत से अनजान
इनका अपना रंगीला जहाँ
माता-पिता भी हो जाते परेशान
टूट रहे उनके अरमान……………..
क्या यही नया ज़माना, नयी आधुनिकता है?
ये तो किसी सिरफिरे कवि की गन्दी कविता है.
सुन्दरता की परिभाषा तो ना बदलो
शालीनता की चादर से खुद को ढक लो
फ़ैशन तो आता-जाता रहता है
मर्यादा लुटने पर कब आता है?
शिक्षा स्वतंत्र बनाती है स्वछन्द नहीं
बुद्धि को विकसित करती है मंद नहीं……………
फ़ैशन को बस फ़ैशन रहने दो
इसे अपना पैशन मत बनने दो
अगर अडिग रहे इस उमर में
प्रगति कदम चूमेगी हर डगर में………..

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