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मेरा भारत महान

chalte chalte
chalte chalte
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किस को कहूँ अपना, कौन पराया है?
कल कुछ गया तो आज कुछ आया है.
जी हाँ! यही हाल है आज देश में ! अन्ना अनशन करके मरेंगे.रामदेव बस अपने बदन को अलग-अलग तरीकों से मोड़ते रहेंगे.देश की जनता यूँही पिसती रहेगी, कराहती रहेगी. हमाम में सब नंगे हैं. तभी तो लोकपाल में इतने अड़ंगे हैं. देश की कोई भी पोलिटिकल पार्टी नहीं चाहती कि एक सशक्त लोकपाल बने-भला आ बैल मुझे मार कौन चाहेगा?
जो आज विपक्ष में हैं वोह कभी तो पक्ष में होंगे, फिर उन्हें भी तो कमाने-खाने और जमा करने के अवसर मिलने चाहिए.
इंसाफ तो सबको बराबर मिलना चाहिए न. फिर कोई क्यों चाहेगा कि लोकपाल कानून बने.
अच्छा, एक बात कहूँ, आजकल देश की समस्याओं के बारे में कभी राहुल भैया, प्रियंका दीदी और सोनिया मौसी को बोलते सुना- वो बोलते हैं, जोर से बोलते हैं, आस्तीन चढ़ा कर बोलते हैं-जब चुनाव-प्रचार करते हैं. जी हाँ! वो पार्टी के नेता हैं देश के नहीं. आज देश की सबसे बड़ी त्रासदी यही है कि देश का कोई नेता नहीं है- जो हैं वो केवल अपनी पार्टी के नेता हैं. कालेधन पर श्वेतपत्र कालेमन से नहीं आएगा, मन को श्वेत करने की जरूरत है. मगर नेताजी लोग, सम्माननीय सांसदों( गाली मत देना,चोर, लुटेरा, हत्यारा मत कहना-ये उनके मर्यादा के खिलाफ है) को क्या फर्क पड़ता है कि देश की जनता जीती है या मरती है. सत्र के अंतिम दिन लोकपाल पर तयशुदा तरीके से चर्चा होती है और फिर इसे सेलेक्ट कमिटी को refar कर diya जाता है. खेल ख़तम-मुर्गी हजम. वाह रे loktantra . मेरा भारत महान भारत के नेता,सांसद, मंत्री महान- bhale ही जनता रहे लाख परेशान.

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