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लोकतंत्र के अन्दर राजतंत्र क़ी आत्मा

आयुष दर्पण
आयुष दर्पण
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ब्रितानी हुकूमत से पूर्व भारत में राजाओं का शासन था,जहां राजाओं के पुत्र या दत्तक पुत्र वंश के साथ राज्य की सत्ता पर काबिज रहते थे ….ब्रितानी हुकूमत के दौरान भी रानी एलिजाबेथ के उपनिवेश के रूप में भारत  पर  कहीं न  कहीं ब्रितानी राजतंत्र की छाया रही ….मुझे लगता है क़ि आज के लोकतंत्र में भी कहीं न कहीं राजतंत्र क़ी आत्मा घुसी पडी है ….अगर ऐसा नहीं है तो हाल के चुनाव परिणामों के नतीजों को आप देख लीजिये ..चाहे सुखवीर बादल हों या अखिलेश यादव और कुछ हद तक राहुल गांधी ये सभी लोकतंत्र में राजतंत्र क़ी  घुसी हुई आत्मा के जीते जागते उदाहरण हैं, जिन्हें  प्रजा सर आँखों पर बिठा रही है …इसका मतलब सीधा सीधा यह है क़ि लोकतंत्र में सही विकल्प न होने के कारण परोक्ष रूप से राजतंत्र ही काबिज हो रहा है और  ऐसा क्यूँ न हो जब प्रजा क़ी चाहत ही यही है ….!!

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