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आपने आजतक शराब या तम्बाकू लेनेवालों को ही नशेड़ी के रूप में जाना होगा, लेकिन आप हो जाएँ सावधान, अगर आप चीनी यानी मिठास के शौक़ीन हैं, तो शायद आप भी नशेड़ी क़ी श्रेणी में जाने जायेंगे ,यह हम नहीं यूनिवर्सीटी आफ केलीफोर्नीया के शोधकर्ता कह रहे हैं ,इन शोधकर्ताओं का तो यहाँ तक कहना है क़ि वैसे सभी उत्पादों पर टेक्सेशन और कानूनी रेगुलेशन आवश्यक होना चाहिए I वैज्ञानिकों क़ी मानें तो शक्कर लोगों के मोटापे और मेटाबोलिक परेशानियों के लिए जिम्मेदार होता है, यह रक्तचाप को बढ़ाता है, साथ ही हारमोन का संतुलन बिगाड़कर लीवर को भी नुकसान पहुंचाता है I विगत पचास वर्षों में पूरी दुनिया में शक्कर के सेवन में तीन गुना से अधिक क़ी वृद्धि हुई है ,शुगर से बने खादय एवं पेय पदार्थ का अधिक सेवन मोटापे,हृदय रोग, कैंसर एवं लीवर संबंधी विकारों से पूरी दुनिया में ३५ मिलीयन रोगीयों क़ी मृत्यु का कारण बनता है I यह मौत शराब एवं तम्बाकू से होनेवाले मौतों क़ी तुलना में कतई कम नहीं मानी जा सकती प्रमुख शोधकर्ता प्रोफ़ेसर राबर्ट लुस्टिग क़ी मानें तो दुनिया क़ी सरकारों को शक्कर से मबंधित अपनी नीतियों में परिवर्तन किये जाने क़ी आवश्यकता है यह शोध द टोक्सिक ट्रुथ एबाउट शुगर नाम से नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है …..!
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